गेवेकल रिसर्च के मुताबिक, इस साल भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 90 से नीचे जा सकता है, क्योंकि मॉनेटरी अथॉरिटी यानी RBI ने रुपये को सपोर्ट करने वाली पॉलिसी से हाथ खींच लिया है.
एनालिस्ट उदित सिकंद और टॉम मिलर ने एक नोट में लिखा है कि लगभग 10% की बड़ी गिरावट, जो रुपये को 95 तक ले जाएगी. उन्होंने लिखा है कि मॉनेटरी अथॉरिटी को करेंसी में तेज गिरावट लाए बिना ब्याज दरों को कम करने का काम करना है.
हाल के हफ्तों में भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक अपने नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में करेंसी पर अपनी पकड़ ढीली कर देगा. ये उनके पहले के गवर्नर के नजरिए से तुलना करता है, जिसने प्रभावी रूप से डॉलर के मुकाबले रूपया को एक क्रॉलिंग पेग (मुद्रा के मूल्य में धीरे-धीरे गिरावट या बढ़ोतरी की अनुमति) पर फिक्स किया था.
लंबी अवधि में, भारत की ओवरवैल्यूड करेंसी में सुधार और डेवलपमेंट हो सकता है, खासकर अगर ये भारत की एक्सपोर्ट इकोनॉमी को बढ़ावा देने में मदद करता है.
सोमवार की सुबह रुपया पहली बार 86 डॉलर से ज्यादा कमजोर हो गया. शुक्रवार को रुपया 12 पैसे कमजोर होकर 85.97 पर बंद हुआ था, सोमवार को रुपया 86.20 प्रति डॉलर पर खुला है, इसके बाद भी रुपये में कमजोरी थमी नहीं, ये इंट्राडे में 86.28 डॉलर तक टूट गया, जो कि अबतक का सबसे न्यूनतम स्तर है. हालांकि रुपया 86 के स्तर तक शुक्रवार को ऑफशोर नॉन डिलिवरेबल फॉर्वर्ड मार्केट्स में पहले ही फिसल चुका था.
रुपये में पिछले 10 महीने से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है.