मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (Marcellus Investment Managers) के एक नए सर्वे के मुताबिक, भारत के हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (HNIs) भी पर्याप्त बचत नहीं कर पा रहे हैं या समझदारी से निवेश नहीं कर रहे हैं. इसने संपन्न परिवारों में फाइनेंशियल गैप को उजागर कर दिया है.
फाउंडर और मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) सौरभ मुखर्जी ने को-फाउंडर प्रमोद गुब्बी और मनीष हेमनानी के साथ मिलकर निष्कर्ष निकाला और कहा कि कई HNIs परिवारों की आय में ग्रोथ हुई है. लेकिन, बचत उनकी बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कमी बनी हुई है.
इस वर्ष फरवरी और मार्च के बीच किए गए सर्वे में महानगरों और टियर-1 और टियर-2 शहरों के 465 HNIs रेस्पोंडेंट्स को शामिल किया गया.
इसमें पाया गया कि 10 में से चार रेस्पोंडेंट्स अपनी पोस्ट-टैक्स इनकम का 20% से भी कम बचाते हैं, जबकि 14% ने स्वीकार किया कि उनके पास कोई इमरजेंसी फंड नहीं है. ये पैटर्न भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चिह्नित व्यापक रुझानों को दर्शाते हैं, जिसने हाल ही में इस बात पर प्रकाश डाला है कि घरेलू फाइनेंशियल बचत कई दशकों के निचले स्तर पर है.
मुखर्जी ने कहा कि मुंबई में रहने वाला एक आम परिवार, जो एवरेज भारतीय टैक्सपेयर्स से सात गुना ज्यादा कमाता है. निजी स्कूलिंग और उपनगरीय आवास के लिए पेमेंट करने के बाद भी हर साल सिर्फ 5 लाख रुपये बचाने के लिए संघर्ष करता है.
इस बीच, उनकी बैलेंस शीट में बहुत ज्यादा निवेश अचल संपत्ति और जोखिम भरे स्माल-कैप इक्विटी में है- जिनमें से कोई भी प्रभावी रूप से धन को नहीं बढ़ाता है.
सर्वे से पता चला है कि 75% HNIs अपने बच्चों की शिक्षा और शादी के लिए बचत करना चाहते हैं और 30% 60 साल से पहले रिटायर होने का लक्ष्य रखते हैं. लेकिन उनकी वास्तविक फाइनेंशियल प्लान काफी पीछे हैं. उनमें से एक तिहाई ने स्वीकार किया कि उनके पास लगातार बचत करने के लिए अनुशासन की कमी है. जबकि 40% अपने निवेश रिटर्न से असंतुष्ट हैं.
मुखर्जी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या ये है कि इनमें से अधिकांश परिवार बड़ी आकांक्षा रखते हैं, जबकि उनके पास अनुशासित फाइनेंशियल प्लान का अभाव है.
सर्वे में रियल एस्टेट के प्रति भारतीयों के जुनून को भी उजागर किया गया. आधे से ज्यादा रेस्पोंडेंट्स के पास अपनी संपत्ति का 20% से ज्यादा हिस्सा प्रॉपर्टी में है.