प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग रूल्स में हाल के बदलावों को देखते हुए, सिक्योरिटीज मार्केट रेगुलेटर SEBI ने शुक्रवार को एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग गाइडलाइंस के तहत बेनिफिशियल ओनरशिप की परिभाषा को सख्त किया है.
संशोधित गाइडलाइंस के तहत, अगर एक कंपनी में किसी संस्था की हिस्सेदारी 10% है तो माना जाएगा कि उसकी कंपनी में बेनिफिशियल ओनरशिप है. इससे पहले इस परिभाषा के तहत ये जरूरत 25% की थी. ट्रस्ट के लिए, सीमा को 15% से घटाकर 10% कर दिया गया है.
फरवरी 2023 में, SEBI ने अपनी एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग गाइडलाइंस को अपडेट किया था. इससे देश में रजिस्टर्ड इंटरमीडियरीज और स्टॉक एक्सचेंज के लिए ड्यू डिलिजेंस की जरूरतों को बढ़ाया है. नई गाइडलाइन के बाद, रजिस्टर्ड इंटरमीडियरी को अपने क्लाइंट्स के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार बनाया गया था.
इसके बाद मार्च 2023 में, वित्त मंत्रालय ने PMLA नियमों में बदलावों की सूची को नोटिफाई किया था. इससे संस्थाओं की रिपोर्टिंग जरूरतें बहुत सख्त हो गई हैं. इसमें बेनिफिशियल ओनरशिप को लेकर सीमा में बदलाव शामिल हैं. SEBI ने अब अपनी गाइडलाइंस को सख्त किया है. ऐसा उसने संशोधित PMLA नियमों के मुताबिक किया है.
अन्य बदलावों में, SEBI ने नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन की परिभाषा को शामिल किया है, जो इनकम टैक्स एक्ट में दी गई परिभाषा के समान है. SEBIने कहा है कि इंटरमीडियरीज को अपने क्लाइंट्स को दर्पण पोर्टल के साथ रजिस्टर करना होगा और पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड रखना होगा.
स्टॉक एक्सचेंजेज और इंटरमीडियरीज को संशोधित गाइडलाइंस के मुताबिक किसी नए प्रोजेक्ट, प्रैक्टिस, टेक्नोलॉजी या सर्विस को लॉन्च करने से पहले जोखिम का आकलन करना जरूरी होगा.