8 नवंबर 2016 की तारीख और शाम आठ बजे पीएम नरेंद्र मोदी संबोधन... ये ऐतिहासिक घटना सभी को याद होगी. सभी परिवार को नोटबंदी के ऐलान का असर देखना और झेलना पड़ा. कई तर्क पक्ष में और कई तर्क विपक्ष में दिए गए. आज इस घटना को छह साल हो चुके हैं और नोटबंदी का फायदा हुआ, नुकसान हुआ यह अनुमान अभी लगाया जा रहा है और यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जिन कारणों की वजह से इसे लागू किया गया क्या वह अब दूर हो गए हैं. क्या नोटबंदी सरकार के मंसूबों पर खरी उतरी या पानी फिर गया. तमाम जानकार आज भी इसकी तारीफ करते हैं तो कई अब आंकड़ों पर बात कर इसके खिलाफ अपनी बात रखते हैं.
संसद में भी हाल ही यह मुद्दा उठा और सरकार से स्पष्ट सवाल किए गए. अर्थव्यवस्था में नकदी के चलन पर लोकसभा में सांसद पी वेलुसामी ने सवाल किया -
क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि
(क) क्या सरकार को इस तथ्य की जानकारी है कि 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी के 5 साल बाद भी चलन में रहने वाली मुद्रा में लगातार वृद्धि हो रही है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;
(ख) आज की तारीख में जनता के पास नकदी की कुल राशि से संबंधित वास्तविक आंकड़े क्या हैं और पिछले वर्ष की तुलना में इसमें कितने प्रतिशत वृद्धि हुई है;
(ग) क्या सरकार का वित्तीय लेनदेन के लिए नकदी के कम उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए क्रेडिट/डेबिट कार्ड और डिजिटल भुगतान के अन्य तरीकों का उपयोग करने के लिए कैश बैक योजनाओं को जारी रखने का विचार है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;
(घ) क्या सरकार को इस तथ्य की जानकारी है कि डिजिटल भुगतान प्रदाता क्रेडिट/डेबिट कार्ड से पैसों का अंतरण करने के लिए सेवा शुल्क ले रहे हैं; और
(ड) यदि हां, तो सरकार ने सेवा प्रदाताओं दवारा लगाए गए किसी परोक्ष सेवा शुल्क के बिना डिजिटल भुगतान तंत्र में सुधार के लिए क्या कदम उठाए हैं?
इन प्रश्नों का जवाब वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने दिया. उन्होंने कहा कि -
क से ड. तक के जवाब पटल पर रख दिए गए हैं.
'अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन' के संबंध में पी वेलुसामी दूवारा पूछे गए दिनांक 19.12.2022 को उत्तरार्थ लोकसभा तारांकित प्रश्न सं. 178 के उत्तर में संदर्भित विवरण इस प्रकार है.
(क) मुद्रा की मांग आर्थिक विकास और ब्याज दरों के स्तर सहित कई बृहत आर्थिक कारकों पर निर्भर करती है. वर्ष 2016 से 2022 (प्रत्येक वर्ष मार्च के अंत तक की स्थिति के अनुसार) तक चलन नोटों (एनआईसी) के आंकड़े निम्नलिखित हैं:
ग): इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने व्यापारियों के बीच भीमयूपीआई के उपयोग को बढ़ावा देने और भीम-यूपीआई के माध्यम से लेनदेन को प्रोत्साहित करने हेतु व्यापारियों के लिए भीम (भरत इंटरफेस फॉर मनी) कैशबैक योजना शुरू की थी और यह योजना 5 जून, 2017 से क्रियाशील थी और 30 जून, 2018 को बंद कर दी गई थी.
(घ) और (ड.) सरकार का मिशन कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना है ताकि काले धन के सृजन और चलन को कम किया जा सके और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके. वित्त (सं, 2) अधिनियम, 2019 के माध्यम से, आयकर अधिनियम, 1961 (अधिनियम) में धारा 269धप को शामिल किया गया था ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि व्यवसाय करने वाला प्रत्येक व्यक्ति भुगतान के अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों की सुविधा, यदि कोई हो, के अलावा ऐसे व्यक्ति द्वारा प्रदान की जा रही है, यदि उसकी कुल बिक्री, कारोबार या सकल प्राप्तियां पिछले वर्ष के दौरान 50 करोड़ रुपये से अधिक है; निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भुगतान स्वीकार करने की सुविधा प्रदान करेगा.
धारा 27झघख को अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, सम्मिलित किया गया था ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि धारा 269धप के तहत निर्धारित भुगतान को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की सुविधा प्रदान करने में विफलता पर प्रति दिन जिस दौरान ऐसी विफलता जारी रहेगी, के लिए 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
उपरोक्त के अलावा, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 में भी संशोधन किया गया ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि कोई भी बैंक या प्रणाली प्रदाता अधिनियम की धारा 269धप के तहत निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के माध्यमों का उपयोग करने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी पर कोई शुल्क नहीं लगाएगा।
राजस्व विभाग (डीओआर) ने दिनांक 30.12.2019 की अधिसूचना सं.105/2019 के माध्यम से; धारा 269धप के लिए भुगतान के निम्नलिखित माध्यम प्रदान करने के लिए नियम 119कक को आयकर नियम, 1962 में सम्मिलित किया गया था:
i) रुपे द्वारा संचालित डेबिट कार्ड;
(ii) एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) (भीम यूपीआई); और
(iii) एकीकृत भुगतान इंटरफेस त्वरित प्रतिक्रिया कोड (यूपीआई क्यूआर कोड) (भीम यूपीआई क्यूआर कोड).
राजस्व विभाग ने दिनांक 30.08.2020 के परिपत्र सं. 16/2020 के माध्यम से, बैंकों को 1 जनवरी, 2020 को या उसके बाद अधिनियम की धारा 269धप के तहत निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग करके किए गए लेनदेन पर एकत्र किए गए शुल्क, यदि कोई हो, को तुरंत वापस करने और निर्धारित माध्यमों द्वारा भविष्य में किसी भी लेनदेन पर शुल्क नहीं लगाने की सलाह दी थी.
इसके अलावा, आरबीआई ने "डेबिट कार्ड लेनदेन के लिए व्यापारी रियायत दर (एमडीआर) के
इसके अलावा, आरबीआई ने "डेबिट कार्ड लेनदेन के लिए व्यापारी रियायत दर (एमडीआर) के युक्तिकरण" पर 6 दिसंबर, 2017 के परिपत्र के माध्यम से बैंकों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि उनके द्वारा ऑन-बोर्ड किए गए डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान स्वीकार करते समय ग्राहकों को व्यापारी रियायत दर (एमडीआर) शुल्क न दें. "पेमेंट एग्रीगेटर्स एंड पेमेंट गेटवे के नियमन पर दिशानिर्देश" पर आरबीआई के 17 मार्च, 2020 के परिपत्र के अनुसार, पेमेंट एग्रीगेटर्स (पीए) यह सुनिश्चित करेंगे कि एमडीआर के संबंध में मौजूदा निर्देशों का पालन किया जाए, और सुविधा शुल्क, संचालन शुल्क, आदि जैसे अन्य शुल्कों की जानकारी, यदि कोई लगाया जा रहा है, को भी पीए दवारा पहले ही प्रदर्शित किया जाएगा.