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'Koo' ka The End: बंद होगा देसी सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म कू, निवेश या अधिग्रहण पर नहीं बनी बात

साल 2020 में सरकार के आत्‍मनिर्भर ऐप इनोवेशल चैलेंज में शामिल 7,000 प्रतिभागियों में से Koo ने बाजी मारी थी.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी01:45 PM IST, 03 Jul 2024NDTV Profit हिंदी
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सरकार के 'आत्‍मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज' जीतकर 2020 में शुरू हुआ देसी सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म Koo बंद होने जा रहा है. संभावित निवेशकों और अधिग्रहणकर्ताओं के साथ कंपनी की बातचीत सफल नहीं होने के चलते देसी ट्विटर कहा जाने वाला 'Koo' अब अस्तित्‍व में नहीं रहेगा.

Koo के को-फाउंडर मयंक बिदावतका ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, 'हमारी साझेदारी की बातचीत विफल हो गई और अब हम पब्लिक के लिए अपनी सेवाएं बंद कर देंगे.'

उन्‍होंने कहा, 'हमने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, समूहों और मीडिया घरानों के साथ पार्टनरशिप की संभावना तलाशी, लेकिन इन बातचीतों में हमें वो रिजल्‍ट नहीं मिला, जिसकी हमें उम्‍मीद थी.'

मार्च 2020 में हुई थी शुरुआत

माइक्रोब्लॉगिंग ऐप की शुरुआत मार्च 2020 में हुई थी. इसे बेंगलुरू की बॉम्बीनेट टेक्नॉलॉजीस ने बनाया था. ऐप को अपरामेया राधाकृष्णण और मयंक बिदावतका ने डिजाइन किया था. ट्विटर से चल रहे विवाद के बीच सरकार ने कू को प्रोत्‍साहित भी किया था.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसे अपनाए जाने की अपील की थी. तमाम मंत्रियों और अधिकारियों ने कू पर अपना आधिकारिक अकाउंट बनाया था. 12 भारतीय भाषाओं में एवलेबल इस प्‍लेटफॉर्म का उद्देश्‍य भारतीय यूजर्स के लिए एक स्वदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का विकल्प तैयार करना था.

कू के मुताबिक, एक समय

  • इसके डेली एक्टिव यूजर्स की संख्‍या एक समय 21 लाख पहुंच गई थी.

  • वहीं, इसके मंथली एक्टिव यूजर्स की संख्‍या 1 करोड़ पहुंच गई थी.

  • Koo पर करीब 9,000 VIPs और सिलिब्रिटीज के अकाउंट थे.

Koo ऐप को लॉन्च के बाद ट्विटर का 'मेड इन इंडिया' वर्जन कहा जा रहा था, कारण कि यहां भी ट्विटर की तरह लोगों को फॉलो किया जा सकता था और कू पोस्‍ट को लाइक, कमेंट और 'री-कू' किया जा सकता था.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Koo को X और Facebook जैसे ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स से कड़ी टक्कर मिल रही थी और ये नए यूजर्स को लुभा नहीं पा रहा था. रेवन्यू जेनरेशन को लेकर भी कंपनी संघर्ष कर रही थी. बीच में अन्य कंपनियों के साथ इसके मर्जर की भी बात चल रही थी, जबकि निवेश और अधिग्रहण को लेकर भी बातचीत जारी थी. हालांकि डील में सफलता नहीं मिल पाई. आखिरकार वित्तीय दबाव और कम होते यूजरबेस के चलते ये अब बंद हो रहा है.

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