भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने विकसित अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंकों की नरम मौद्रिक नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यह दवा से ज्यादा बीमारी की वजह बनेगी।
उन्होंने कहा कि वैश्विक नियमों को नया रूप देने की जरूरत है, ताकि स्थिर और सतत आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित हो सके। वर्ष 2008 के वित्तीय संकट का सही-सही अनुमान लगाने वाले शख्स के रूप में चर्चित रहे राजन ने चेतावनी दी कि यदि विकसित और उभरती अर्थव्यस्थाएं नई जरूरतों को स्वीकार नहीं करती हैं, तो यह इस उबाऊ दौर को और आगे ले जाएगा।
राजन ने वाशिंगटन में अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग इंस्टीट्यूशन को दिए अपने भाषण में अपरंपरागत मौद्रिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा, सही दवा बताने के लिए पहले बीमारी की वजह जानना होता है। मौद्रिक नीति में बहुत ज्यादा नरमी मेरे विचार में दवा के बदले बीमारी की वजह अधिक बनेगी।
उन्होंने कहा, जितनी जल्द हम इस बात को मान लेंगे, उतनी सतत वैश्विक आर्थिक वृद्धि हम हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के वैश्विक नियमों पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है, ताकि स्थिर और सतत वृद्धि विकसित एवं विकासशील... दोनों ही तरह के देशों में सुनिश्चित हो सके। विकसित और विकासशील दोनों ही तरह के देशों को इसे स्वीकार करने की जरूरत है, अन्यथा मुझे डर है कि हम उबाऊ चक्र के अगले दौर में प्रवेश करने वाले हैं।