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दाल के दाम पर सिर्फ राजनीति करना चाहती हैं राज्य सरकारें : रामविलास पासवान

"राज्य सरकारें सिर्फ राजनीति करना चाहती हैं। दाम बढ़ेंगे तो कहेंगे कि केन्द्र सरकार जिम्मेदार है।" केन्द्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बुधवार को दाल की बढ़ती कीमतों के संदर्भ में यह बात कही।
NDTV Profit हिंदीReported by Himanshu Shekhar Mishra, Edited by Suryakant Pathak
NDTV Profit हिंदी08:51 PM IST, 04 May 2016NDTV Profit हिंदी
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"राज्य सरकारें सिर्फ राजनीति करना चाहती हैं। दाम बढ़ेंगे तो कहेंगे कि केन्द्र सरकार जिम्मेदार है।" केन्द्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बुधवार को दाल की बढ़ती कीमतों के संदर्भ में यह बात कही। दाल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की जद्दोजहद में जुटे खाद्य मंत्री परेशान हैं कि खत लिखने के बावजूद राज्य सरकारें सस्ती दरों पर केन्द्र से दाल लेने की पहल नहीं कर रही हैं।

सस्ती दाल पाने के लिए सिर्फ तीन राज्य इच्छुक
खाद्य मंत्रालय के मुताबिक अब तक सिर्फ तीन राज्य सरकारों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडू ने केन्द्र से सस्ते रेट पर दाल की सप्लाई की मांग की है। ऐसे वक्त पर जब देश के कई बड़े शहरों में अरहर और उड़द दाल की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। मुश्किल यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद अरहर और उड़द दालें महंगी होती जा रही हैं। दिल्ली के साउथ एवेन्यू में किराने की दुकान चला रहे कार्तिक कहते हैं, "पिछले पंद्रह दिनों में अरहर दाल 140 रुपये से बढ़कर 160 रुपये किलो हो गई है, यानी बीस रुपये महंगी। जबकि इस दौरान उड़द दाल 180 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 220 रुपये किलो हो गई है, यानी 40 रुपये प्रति किलो की बढ़ोत्तरी।

इसका नतीजा यह हुआ है कि लोग दाल कम खरीद रहे हैं और व्यापार का दायरा घटता जा रहा है। अब खाद्य मंत्रालय ने दिल्ली में दाल की कीमतें काबू में करने के लिए सफल और केन्द्रीय भंडारों को कम दर पर बिक्री के लिए 400 टन अरहर और उड़द दाल की सप्लाई की है। उन्हें कहा गया है कि वे 120 रुपये प्रति किलो के रेट तक दिल्ली के अपने स्टोर में अरहर और उड़द दाल बेच सकते हैं।

प्याज सस्ता, किसान संकट में
दूसरी तरफ कई जगहों पर प्याज़ काफी सस्ता हो गया है। किसान संकट में हैं और सरकार उस मोर्चे पर भी जूझ रही है। खाद्य मंत्री पासवान कहते हैं कि सरकार ने NAFED और SFAC के ज़रिए 15000 टन प्याज़ खरीदने का फैसला किया था, 8.5 से 9.5 प्रति किलो के रेट से। लेकिन संकट बड़ा है और खासा पुराना भी, इस लिहाजा से वक्त रहते राहत नहीं मिली तो लोगों में असंतोष भी बढ़ेगा।

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