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कोयला ब्लॉक विवाद पर आर्बिट्रेशन के लिए अदाणी एंटरप्राइजेज की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटित न किए जाने के खिलाफ मध्यस्थता का आह्वान करने की मांग की गई है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:03 PM IST, 27 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को गुजरात राज्य विद्युत निगम को अदाणी एंटरप्राइजेज की याचिका पर नोटिस जारी किया है. जिसमें छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटित न किए जाने के खिलाफ आर्बिट्रेशन का आह्वान करने की मांग की गई है.

अदाणी एंटरप्राइजेज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील CS वैद्यनाथन ने अदालत को बताया कि प्रपोजल डॉक्यूमेंट के मुताबिक, कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए जारी टेंडर से उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद को आर्बिट्रेशन के लिए भेजा जाना चाहिए.

वरिष्ठ वकील CS वैद्यनाथन ने ये तर्क दिया गया कि गुजरात उच्च न्यायालय ने विवाद को आर्बिट्रेशन के लिए भेजने से इनकार करके गलती की थी. हम राहत के हकदार हैं या नहीं, इसका फैसला मध्यस्थ ट्रिब्यूनल को करना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया गया कि कंपनी द्वारा उठाए गए खर्चों के मद्देनजर दावा लगभग 100 करोड़ रुपये होने की संभावना है.

GSECL ने कोयला उत्पादन और कोयला खदान से इस्तेमाल के लिए छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए कोयला मंत्रालय के साथ एक समझौता किया है.

2017 में, अदाणी एंटरप्राइजेज के नेतृत्व वाला एक कंसोर्टियम बोली प्रक्रिया में कोयला ब्लॉक के लिए सफल बिडर के रूप में उभरा. कंसोर्टियम ने बयाना राशि के रूप में 50 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा भी की. कंसोर्टियम को 2018 में GSECL से कंडीशनल लेटर मिला. हालांकि, इसके बाद, GSECL ने कोयला ब्लॉक को मंत्रालय को वापस सौंपने का फैसला किया.

कंसोर्टियम का तर्क था कि उसने कंडीशनल लेटर जारी होने के बाद प्रोजेक्ट से संबंधित गतिविधियां शुरू की थीं और उसे मैनपावर, इंफ्रास्ट्रक्चर, एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंस पर काफी खर्च करना पड़ा था.

कंसोर्टियम ने कहा कि GSECL द्वारा एकतरफा तरीके से कोयला ब्लॉक को सरेंडर करने का टेंडर प्रक्रिया और कंडीशनल लेटर का उल्लंघन है.

हालांकि, गुजरात उच्च न्यायालय ने मामले को आर्बिट्रेशन के लिए भेजने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने कहा कि केवल कंडीशनल लेटर देने से आर्बिट्रेशन क्लॉज लागू नहीं होगा, क्योंकि संबंधित मंत्रालय ने कंडीशनल लेटर के साथ आगे बढ़ने के लिए कोई मंजूरी नहीं दी थी.

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