सुप्रीम कोर्ट ने JSW स्टील की ओर से भूषण पावर एंड स्टील के अधिग्रहण को अवैध करार दिया है और कंपनी के लिक्विडेशन यानी एसेट्स की नीलामी का आदेश दिया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने JSW स्टील की ओर से 2019 में सब्मिट किए गए रिजॉल्यूशन प्लान को खारिज कर दिया.
JSW स्टील ने करीब 20,000 करोड़ रुपये में भूषण पावर को खरीदने की बिड जीती थी. ये सौदा इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत हुआ था. JSW ने इस सौदे में टाटा समूह और ब्रिटेन की लिबर्टी ग्रुप को पछाड़ा था. अंतिम अधिग्रहण 2021 में पूरा हुआ था. ये उस समय IBC के तहत दूसरी सबसे बड़ी डील मानी गई थी.
भूषण पावर एंड स्टील को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2017 में दिवालिया कंपनियों की सूची में शामिल किया था. उस समय कंपनी पर बैंकों का 47,000 करोड़ रुपये से ज्यादा और ऑपरेशनल क्रेडिटर्स का 780 करोड़ रुपये से अधिक बकाया था.
अब जब यह सौदा खारिज हो गया है, तो इसका सीधा असर बड़ी बैंकों पर पड़ सकता है, जिनमें स्टेट बैंक (SBI) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) प्रमुख हैं. ये दोनों भूषण पावर मामले में क्रेडिटर्स की कमेटी का नेतृत्व कर रही थीं.
इस दिवालिया प्रक्रिया में कई सालों की देरी हुई. पहले कंपनी के प्रमोटर संजय सिंघल ने कंपनी को दोबारा खरीदने की पेशकश की. बाद में इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के कारण और देरी हुई.
2019 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कंपनी की संपत्तियां अस्थायी रूप से अटैच कर दी थीं. भूषण पावर के पूर्व प्रबंधन पर बैंक लोन धोखाधड़ी के आरोप थे.
ED ने ये भी दलील दी थी कि JSW स्टील भूषण पावर से जुड़ी एक दूसरी कंपनी में अल्पांश हिस्सेदारी रखने के कारण एक रिलेटेड पार्टी है, इसलिए उसका अधिग्रहण कानून के दायरे में नहीं आता. दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि ED भूषण पावर की अटैच की गई 4,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को बहाल करे.
अब सुप्रीम कोर्ट ने JSW स्टील की डील को रद्द कर दिया है और भूषण पावर की लिक्विडेशन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है.