अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनोमिक जोन (APSEZ) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें अदाणी पोर्ट को मुंद्रा के नवीनाल गांव में आवंटित 108 हेक्टेयर जमीन लौटाने का आदेश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई. सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला अदाणी ग्रुप के लिए एक बड़ी जीत की तरह है.
स्थानीय ग्रामीणों ने अदाणी ग्रुप की कंपनी को इस जमीन के आवंटन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी, जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने कच्छ क्षेत्र में 108 हेक्टेयर जमीन लौटाने का आदेश दिया था. जमीन वापस लेने में राज्य सरकार ने सहमति जताई थी. ये जमीन कैटल-ग्रेजिंग कैटगरी यानी मवेशियों के चरने लायक बताई गई है.
मामला 2011 से चला आ रहा है, जब नवीनाल गांव के लोगों ने आवंटन को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी. इसमें तर्क दिया गया था कि इस आवंटन के फलस्वरूप ग्रामीणों के लिए बहुत कम चारागाह भूमि छोड़ी गई है.
इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि गांव के करीब 732 पशुओं के लिए करीब 132 हेक्टेयर चारागाह भूमि की जरूरत होगी. जबकि आवंटन के बाद ग्रामीणों के पास केवल 17 हेक्टेयर जमीन ही बची थी. इसके बाद राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि वो अदाणी ग्रुप को आवंटित कुल जमीन में से 108 हेक्टेयर जमीन वापस लेगी.
गुजरात में BJP सरकार के कार्यकाल में साल 2005 में मुंद्रा पोर्ट स्पेशल इकोनॉमिक जोन प्रोजेक्ट के लिए देश के टॉप पोर्ट ऑपरेटर APSEZ को 231 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी.
जुलाई 2005 में कच्छ के कलेक्टर ने अदाणी ग्रुप को स्पेशल इकोनॉमिक जोन डेवलप करने के लिए ये जमीन आवंटित की थी, जिसके एवज में अदाणी ग्रुप ने 11.21 लाख रुपये के 30% प्रीमियम के साथ 37.39 लाख रुपये से अधिक राशि का भुगतान किया था.