बायजूज इन्सॉल्वेंसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अब 2 सितंबर को सुनवाई होगी. इससे पहले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने NCLT का फैसला पलटते हुए बायजूज के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी प्रोसेस को फिर से चालू कर दिया था.
दरअसल 2 अगस्त को NCLT ने BCCI-बायजूज के समझौते को अनुमति देते हुए शर्तों के साथ बायजूज के खिलाफ जारी इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया रोक दी थी.
इस समझौते के तहत बायजूज, BCCI को 158 करोड़ रुपये चुकाए जाने पर सहमत हुई थी. एडटेक फर्म के मुताबिक बायजू रवींद्रन के भाई BCCI का कर्ज चुकाने के लिए फंड दे रहे थे.
बायजूज ने 22 अगस्त को कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) के ऑपरेशंस और मीटिंग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी. लेकिन तब भी कोर्ट ने बायजूज को राहत नहीं दी थी और रोक लगाने से इनकार कर दिया था. CoC, बैंकरप्सी के दौरान कंपनी को कर्ज देने वालों का प्रतिनिधित्व करने वाली समिति होती है.
बता दें 158 करोड़ रुपये की पेमेंट से जुड़े BCCI-बायजूज सेटलमेंट पर 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी.
इससे पहले NCLT के फैसले के बाद, विदेशी इन्वेस्टर्स के एक समूह 'ग्लास ट्रस्ट (GLAS)' ने बायजूज-BCCI समझौते को चुनौती देते हुए SC से इसे रोकने की गुहार लगाई थी.
इन निवेशकों का कहना है कि उनका कंपनी पर करीब 1 बिलियन डॉलर का कर्ज है, ऐसे में उधार चुकाए जाने के पहले हकदार वे हैं, जबकि बायजूज ने BCCI के साथ समझौते के पहले उनकी अनुमति भी नहीं ली.
इस बीच 14 अगस्त के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने BCCI को बायजूज से मिले 158 करोड़ रुपये एक अलग एस्क्रो अकाउंट में रखने का निर्देश दिया है.
बता दें महज 2 साल पहले तक 22 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन वाली बायजूज अपनी वर्किंग स्टाइल को लेकर पहले मुसीबतों में फंसी. फिर ऑडिट संबंधी अनियमितताओं के चलते ऑडिटर ने इस्तीफा दिया था. इसके अलावा कंपनी देश-विदेश में अपने क्रेडिटर्स के साथ कानूनी मुकदमेबाजी में उलझी है. इन चीजों के चलते कंपनी के भविष्य पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.