सिर्फ छह माह पूर्व भारतीय कंपनियां और नीति निर्मतात एक्सचेंज रेट के कम होने को लेकर चिंतित थीं लेकिन अब रुपये की अप्रत्याशित मजबूती चिंता का कारण बन गई है. इस साल अब तक करेंसी में 5.6 फीसदी की मजबूती आई है जिससे मुद्रास्फीति के कम होने में भी मदद मिलेगी. लेकिन रुपये की यह मजबूती भारतीय निर्यातकों की कमाई के लिए चुनौती खड़ी कर रही है. आईटी कंपनियों और दवा निर्माताओं कंपनियों के लिए यूएस फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन के औचर निरीक्षणों और वर्किंग वीजा को लेकर खड़ी हुई दिक्कतों से हालात पहले से ही चुनौतीपूर्ण हैं. एनडीटीवी डॉट कॉम पर छपे ब्लूमबर्ग के लेख में यह बातें कही गई हैं.
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड, भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी, रुपये की इस मजबूती से सदमे में है. वैसे एक सरकारी अधिकारी ने करेंसी की मजबूती को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं लेकिन केंद्रीय बैंक के इस बाबत कोई कदम उठाए जाने को लेकर अभी कुछ खास होता दिखाई नहीं दे रहा है. जो कंपनियां अपनी आय का बड़ा हिस्सा विदेशों से प्राप्त करते हैं उनके लिए यह चिंता का बड़ा विषय है. ऐसी कंपनियों में टाटा, इंफोसिस लिमिटेड, विप्रो लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं जिनकी 90 फीसदी तक रेवन्यू विदेशों से प्राप्त होता है. सन फार्मा और लुपिन जैसी कंपनियों की 70 फीसदी तक आय विदेशों से होती है.
रिलायंस सिक्यॉरिटी, मुंबई के राकेश तार्वे ने कहा- हम निवेशकों को सतर्कता के साथ निवेश करने की सलाह दे रहे हैं. मार्च में पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की जीत से आर्थिक सुधारों की कोशिशों को बल मिला है. वैश्विक निवेशकों ने भारतीय बॉन्ड्क और स्टॉक्स में 15 बिलियन डॉलर के करीब डाल दिए हैं. इसके बाद अप्रैल में रुपया 20 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. वित्त मंत्रालय के चीफ इकॉनमिक अडवायजर अरविंद सुब्रमण्यन इस बाबत चेतावनी भी दी और कहा कि रुपये की ये मजबूती निर्यातकों को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है और भारत को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि एक्चेंज रेट प्रतियोगितात्मक बने रहें.
हालांकि आरबीआई इस नजरिए से तालमेल मिलाता नहीं दिखता. ऐसा लगता है कि केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिति को ऑफसेट करने के लिए रुपए की मजबूती की अनुमति दे रहा है- यह कहना सिंगापुर में बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के एशियन करेंसी और रेट्स स्ट्रेटजी के को-हेड क्लॉडियो पायरन का. वैसे ज्यादातर विश्वेषक मानते हैं कि साल के अंत तक मुद्रा में कमजोरी आएगी. (यह भी पढ़ें- रुपया मजबूत, डॉलर के मुकाबले रुपया 23 पैसे ऊंचा)
टीसीजी ग्रुप की भारतीय ऑपरेशन्स के एमडी चाकरी लोकप्रिया के मुताबिक, अगली एकाध तिमाही तक फार्मा कंपनियों की एक्सपोर्ट अर्निंग्स 4 से 6 फीसदी तक कम हो जाएगी. सॉफ्टवेयर फर्म्स की कमाई में 2 से 3 फीसदी तक घटेंगी.