डायमंड सदा के लिए होता है. हर गेटअप के साथ डायमंड सही जमता है. लेकिन फिर आपके पास आपकी दादी का सोने का हार है, जो दशकों से आपके परिवार के पास सहेजकर रखा गया है, आपकी परंपरा और परिवार की विरासत का प्रतीक है.
लेकिन आज के युवाओं को मॉडर्न ज्वेलरी ज्यादा पसंद आती है, जिनमें चमकते हुए हीरों या मिनिमलिस्ट डिजाइन का उपयोग किया गया हो.
तो पारंपरिक सोने के गहनों से न्यू एज डायमंड्स तक का बदलाव सिर्फ स्टाइल में बदलाव नहीं है. दरअसल ये वित्तीय प्राथमिकताओं और वेल्थ के लिए रवैये में आ रहे गहरे जनरेशनल बदलाव को दिखाता है. तो इस बदलाव के पीछे की वजह क्या है? ये कंज्यूमर और ज्वेलरी इंडस्ट्री के लिए क्या मायने रखता है?
पीढ़ियों तक भारतीय आभूषण परंपरा में सोने का दबदबा रहा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक दुनिया भर की डिमांड में से 25% भारत से आती है, जिसके चलते भारत दुनिया में गोल्ड के सबसे बड़े कंज्यूमर्स में शामिल है.
सोने को एक सुरक्षित और भाव के मामले में बढ़ने वाला एसेट माना जाता है, फिर ये धार्मिक, सांस्कृतिक और वित्तीय उद्देश्यों के लिए भी पीढ़ियों से उपयोग हो रहा है.
जैसा रूंगटा सिक्योरिटीज के CFP हर्षवर्धन रूंगटा कहते हैं, 'भारतीय परिवारों के लिए गोल्ड सबसे पहला निवेश का विकल्प रहा है, जो अच्छी लिक्विडिटी उपलब्ध करवाता है, फिर इसका सांस्कृतिक महत्व भी है, जिसे बदलना मुश्किल है.'
लेकिन ऐसा नहीं है कि सोने की इस अहमियत का कोई नुकसान नहीं है. एक बड़ा घाटा इसकी घटती-बढ़ती कीमतों से जुड़ा है. लंबे समय में तो सोने की वैल्यू बढ़ती है, लेकिन शॉर्ट टर्म में इसकी कीमतों में अस्थिरता युवा खरीदारों के लिए चिंता का विषय हो सकती है, जो कम वक्त के वित्तीय लक्ष्य बनाते हैं.
युवा आज बड़ी संख्या में डायमंड की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. लैब में बने डायमंड जो रासायनिक और भौतिक तौर पर प्राकृतिक हीरों की तरह ही होते हैं, उन्होंने पारंपरिक डायमंड मार्केट में बड़ी हलचल मचाई है और एक बेहतर किफायती विकल्प उपलब्ध कराया है.
GJEPC (जेम & ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल) द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक 2021 से 2023 के बीच लैब में बने डायमंड के एक्सपोर्ट में 200% का इजाफा हुआ है, इससे इनकी बढ़ती लोकप्रियता का पता चलता है.
पोपली ग्रुप के MD राजीव पोपली इस बदलाव के बारे में कहते हैं कि लैब में बने डायमंड युवा खरीदारों को बिना अत्याधिक पैसा खर्च किए लग्जरी वस्तु उपलब्ध कराते हैं. उनके मुताबिक, 'पर्यावरणीय मुद्दों पर सजग ग्राहक के लिए लैब में बने डायमंड की सस्टेनेबिलिटी और इसकी अफॉर्डेबिलिटी फिट बैठती है.'
वहीं रूंगटा एक और पहलू पर ध्यान दिलाते हुए कहते हैं, 'युवा पीढ़ी अपने वित्तीय पोर्टफोलियो में ज्यादा विविधता लाने पर फोकस करती है, वो अपना पैसा स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स या कुछ निजी अनुभव लेने में निवेश करती है, ना कि सोने में पारंपरिक पैटर्न पर निवेश करती है. वे ज्वेलरी को वित्तीय सुरक्षा माध्यम के बजाए एक निजी उपभोग की तरह देखते हैं.'
डायमंड्स के लोकप्रिय होने की एक और वजह पर्सनलाइज्ड ज्वेलरी का बढ़ता उपयोग है. युवा कंज्यूमर अपनी लाइफस्टाइल और वैल्यूज के साथ मेल खाने वाली डिजाइन बनवाना चाहता है. डेलॉयट द्वारा किए गए हालिया सर्वे से पता चला है कि भारत में जेन Z के 48% उपभोक्ता बड़ी संख्या में बनाकर रखी गईं ज्वेलरी की जगह कस्टमाइज्ड ज्वेलरी पसंद करते हैं. मतलब अनोखेपन पर जोर ज्यादा है.
आज के कंज्यूमर के लिए सस्टेनेबिलिटी एक अहम फैक्टर है. ज्वेलरी में भी ऐसा ही है. लैब में बने डायमंड्स को पारंपरिक खनन की तुलना में एनवायरनमेंटली फ्रेंडली विकल्प माना जाता है.
पोपली कहते हैं, 'युवा ग्राहकों में खनन से मिले डायमंड्स के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर जागरुकता बढ़ रही है. लैब में बने डायमंड, पारंपरिक डायमंड की तरह ही क्वालिटी उपलब्ध करवाते हैं, वो भी बिना ज्यादा कार्बन फुटप्रिंट के. इसलिए ये इको-फ्रेंडली खरीदार के लिए अच्छा विकल्प है.'
2022 में नीलसन ने एक सर्वे किया था, जिसमें 20 से 35 साल की उम्र के बीच के 63% भारतीय उपभोक्ताओं ने कहा था कि वे ज्वेलरी और अन्य प्रोडक्ट ऐसे ब्रैंड्स से खरीदना पसंद करेंगे, जो पर्यावरण को लेकर जिम्मेदार हो.'
युवा ग्राहकों की प्राथमिकता साफ तौर पर बदल रही है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि गोल्ड पूरी तरह से अपनी अहमियत खो रहा है. शादियों और त्योहारों में तो सोने का खास अहमियत है. बल्कि 2022 के शादियों के सीजन में गोल्ड ज्वेलरी की डिमांड में विशेष इजाफा आया था.