केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में आम बजट पेश किया. बजट में कई ऐसे ऐलान हुए हैं, जिसके बाद आम लोगों से जुड़ी चीजें महंगी हुई हैं. इसके अलावा कई उत्पाद पर लोगों को राहत भी मिली है. इस पर लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. किसी ने इसे स्वागत योग्य बताया, तो किसी ने इसे सिरे से नकारा भी है.
निजी क्षेत्र में काम करने वाले अमित दीक्षित ने कहा, "लोकलुभावन वादों में आमजन का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाकर प्रभावशाली बजट के बजाय झुनझुना थमा दिया है. यह बजट बहुत ही निराशाजनक है. इसमें मध्य वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है. पेट्रोल और डीजल पर एक-एक रुपये रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस लगाने का ऐलान किया गया है. इससे लोगों को प्रति लीटर ज्यादा पैसे चुकाने होंगे. लखनऊ में पेट्रोल की कीमत 70.24 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल 63.60 रुपये प्रति लीटर है. लेकिन एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की घोषणा बाद शनिवार से इसमें इजाफा हो जाएगा. क्योंकि राज्य सरकार और नगर निगम की तरफ से भी अतिरिक्त टैक्स लगाया जाता है. इससे किसान आम जन सबको परेशानी उठानी पड़ेगी."
सामाजिक कार्यकर्ता अमिता अग्रवाल बजट को महिलाओं के लिए अनुकूल बताती हैं. उन्होंने कहा, "इस बजट में महिलाओं को तरजीह देने का कार्य किया गया है. इसमें थोड़ा और अधिक किए जाने की गुंजाइश थी. आधी आबादी को बजट में पूरा स्थान मिलना ही चाहिए. ऐसे में केंद्र का यह बजट हमारे लिए राहत भरा जरूर कहा जा सकता है. घरेलू उत्पादों को सस्ता कर, रसोई के समान को सस्ता कर सरकार ने गृहिणियों पर विशेष ध्यान दिया है. अभी थोड़ा और ध्यान देने की जरूरत है."
निर्माण ठेकेदार राकेश सिंह को बजट से काफी निराशा हुई है. उन्होंने कहा, "बहुत सारी चीजें महंगी हो गई हैं. इससे आमजन और किसान काफी प्रभावित होंगे. यह मध्यम वर्गीय लोगों की जेब पर भार डालने वाला बजट है. इनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सरकार से आशा थी कि इनकम टैक्स में कुछ छूट प्रदान करेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं है."
गृहिणी तान्या द्विवेदी ने कहा, "बजट में महिलाओं को तरजीह देकर सरकार ने सराहनीय कार्य किया है. किचन का बजट में ध्यान रखा गया है तो कुछ मूलभूत जरूरतों पर भी सरकार ने नजर दौड़ाई और उसे बजट में शामिल करने का कार्य किया है. यह कदम स्वागत योग्य है. बजट आमजन हितकारी कहा जा सकता है."
लखनऊ विवि के अर्थशास्त्र के छात्र विकास ने बजट को दूरगामी परिणाम देने वाला बताया. उन्होंने कहा, "इसमें महिलाओं, मध्य वर्गीयों को पूरी तरह तरजीह दी गई है. बजट में समग्रता है और सभी के हितों को ध्यान में रखा गया है. सबसे बड़ी चीज इसमें प्रदूषण से परेशान हो रहे लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता करना अच्छा कदम है. लेकिन किताबें महंगी करना ठीक नहीं है. सरकार को हम जैसे विद्यार्थियों का भी ध्यान देना चाहिए."
लखनऊ विवि के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ एमके अग्रवाल ने कहा, "बजट में इस बार शहरों पर ध्यान दिया गया है. यह अच्छी बात है. सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था, व सशक्तिकरण अवस्थापना के क्षेत्र का गुणवत्तापरक तीव्र विकास पर जोर दिया है. 300 किमी की मेट्रो लाइन का विस्तार महत्वपूर्ण कदम है."
उन्होंने कहा कि मध्यमवर्गीय लोगों की पांच लाख रुपये की आय को आयकर से पूर्णतया मुक्त कर दिया गया है. शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण सरकार विद्युत वाहनों को बढ़ावा दे रही है. इन पर कर को कम करना भी अच्छा कदम है.
VIDEO : बजट में अगले दस सालों पर नजर
(इनपुट आईएएनएस से)