वेदांता ने अपने स्टील बिजनेस को बेचने की योजना पर विराम लगा दिया है. कंपनी ने हाल ही में शेयर बेचकर 1 बिलियन डॉलर जुटाए हैं, इससे कंपनी को अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने में मदद मिली है.
नाम न बताने की शर्त पर मामले से परिचित लोगों ने बताया कि वेदांता मर्चेंट बैंकर्स और एडवाइजर्स के साथ मिलकर स्टील कारोबार को बेचने पर काम कर रही थी, इस कारोबार में आयरन ओर और मैंगनीज खदानें भी शामिल हैं. कंपनी स्टील बिजनेस को बेचकर अपना कर्ज कम करना चाहती थी. कंपनी को उम्मीद थी कि वो स्टील बिजनेस को बेचकर लगभग 2.5 बिलियन डॉलर जुटाए सकती थी. मगर अब खबर है कि उसने इस प्लान को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
मामले से परिचित लोगों ने बताया कि पिछले महीने शेयर प्लेसमेंट के जरिए वेदांता द्वारा बिलियन डॉलर का फंड जुटाने से कर्ज का दबाव कुछ कम हुआ है और स्टील बिजनेस को बेचने की जरूरत भी कम हुई है.
पिछले साल वेदांता के बोर्ड ने कंपनी को छह अलग-अलग कंपनियों को बांटने की योजना को मंजूरी दी थी. कंपनी को उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में मार्च 2025 तक डीमर्जर का प्लान पूरा हो जाएगा.
31 जुलाई को, कंपनी ने घोषणा की कि 75% सिक्योर क्रेडिटर्स ने प्रपोजल को मंजूरी दे दी है. रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों का कहना है कि वेदांता ने केवल स्टील बिजनेस की संभावित बिक्री के लिए एडवाइजर्स नियुक्त किए हैं. कंपनी ने पहले कहा था कि वो इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर जैसे सेक्टर्स को प्राथमिकता देगी.
वेदांता ने 2018 में स्टील बिजनेस में प्रवेश किया, जब उसने ESL स्टील लिमिटेड में 90% हिस्सेदारी खरीदी, जिसका ऑपरेशन पूर्वी भारत के झारखंड राज्य के बोकारो में होता है. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, इसके उत्पादों में पिग आयरन, बिलेट्स, टीएमटी बार, वायर रॉड और डक्टाइल आयरन पाइप शामिल हैं.