बाजार में सब्जियों के दाम कम होने से जहां उपभोक्ता खुश हैं वहीं कई राज्यों के किसान परेशान होने लगे हैं. थोक मंडियों में पत्तागोभी, टमाटर, आलू और प्याज के दाम 2 रुपए किलो से 10 रुपए किलो हैं इसके चलते किसानों को इन फसलों की लागत तक नहीं मिल पा रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक के किसानों में दिक्कत देखी जा रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हापुड के तातरपुर गांव के किसान विपिन त्यागी 12 बीघे में लगाए पत्ता गोभी के खेत की जुताई कर रहे हैं. पत्ता गोभी की इस खेती में उनकी लागत करीब 1 लाख रुपए लगी लेकिन अब मंडी में 10 हजार रुपए भी नहीं मिल रहे हैं. पत्ता गोभी इस वक्त मंडी में 1 से 2 रुपए किलो बिक रही है. इसके चलते किसान पत्ता गोभी को मंडी ले जाने के बजाए खेत की ही जुताई कर रहे हैं.
एनडीटीवी से बात करते हुए हापुड़ के किसान विपिन त्यागी ने कहा कि 12 बीघे में पत्ता गोभी लगाया था लेकिन इस साल रेट ही नहीं है एक कट्टा का 50 रुपए से 80 रुपए मिल रहे हैं. क्या करेंगे मंडी ले जाकर...
इस इलाके में विपिन त्यागी जैसे हजारों किसानों को इस साल पत्ता गोभी की खेती में लाखों का नुकसान हुआ है. यहां से 10 किलोमीटर दूर बागड़पुर गांव के किसान जीतेंद्र 24 बीघे के पत्ता गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चलवा रहे हैं.
बागड़पुर के किसान जीतेंद्र कुमार का कहना है कि एक कट्टे पत्ता गोभी के काटने की मजदूरी 40 से 50 रुपए है फिर इसको मंडी तक पहुंचाने में खर्चा जबकि मंडी में एक कट्टा 50 रुपए से 80 रुपए में बिक रहा है तो क्या फायदा है.
बाजार में इस वक्त पत्ता गोभी 7 रुपए किलो है जबकि बैगन 18 रुपए किलो फूल गोभी 25 रुपए किलो, टमाटर 20 रुपए और आलू-प्याज 25 रुपए किलो बिक रही है. पत्ता गोभी ही नहीं पश्चिमी उप्र में इस साल आलू के किसानों को भी खासा नुकसान हो रहा है. आलू मंडी में 10 से 12 रुपए किलो बिक रहा है। जबकि कर्नाटक के किसानों को टमाटर का भाव 5 रुपए किलो मिल रहा है और प्याज के दाम 4 रुपए से 20 रुपए किलो तक किसानों को मिल रहा है.
जानकारों का कहना है कि पिछली बार सब्जियों के भाव अच्छे मिलने से इस बार किसानों ने सब्जियां ज्यादा लगाया इसके चलते उपभोक्ताओं को सब्जी सस्ते में मिल रही है जबकि किसान बड़ी तादात में बरबाद हो रहे हैं.
सब्जियों की पैदावार में उत्तर प्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र और कर्नाटक के किसानों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. यही वजह है कि तमाम किसान संगठन केरल की तर्ज पर राज्यों से सब्जियों पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग कर रहे हैं ताकि मांग और आपूर्ति के समीकरण में किसानों को कम से कम न्यूनतम दाम फसलों का मिलता रहे.