वोडाफोन आइडिया के इन्वेस्टर्स के पैसे गंवाने की रफ्तार कंपनी के टेलीकॉम सब्सक्राइबर्स गंवाने से ज्यादा है. कंपनी के सब्सक्राइबर्स की संख्या FY23 की चौथी तिमाही के 22 करोड़ 59 लाख से घटकर FY25 की दूसरी तिमाही में 20 करोड़ 50 लाख हो गई है.
4G कैपेसिटी में निवेश और बढ़ती कवरेज के बावजूद वोडाफोन आइडिया के सब्सक्राइबर्स कम हो रहे हैं. दरअसल इसके पीछे कई वजह हैं. जैसे जून में टैरिफ में हुई बढोतरी, ड्यूल सिम कंसोलिडेशन, ग्राहकों का 4G/5G मोबाइल हैंडसेट में अपग्रेड होना, बाहरी इलाकों में कमजोर कवरेज आदि.
वोडाफोन का AGR बकाया करीब 70,300 करोड़ रुपये है. जबकि कंपनी के पास कैश बैलेंस 13,620 करोड़ रुपये है. इसकी तुलना में भारती एयरटेल का AGR बकाया 44,000 करोड़ रुपये और रिलायंस जियो का AGR बकाया लगभग शून्य है.
डेट फंडिंग प्लान में देरी के बीच कंपनी का मैनेजमेंट सरकार से मिलने वाली संभावित राहत पर बड़े पैमाने पर निर्भर हो गया है. दरअसल इस संभावित राहत के तहत सरकार कंपनी के बकाया के एक और बड़े हिस्से को इक्विटी में बदलेगी. लेकिन तमाम चीजों के बावजूद ये कंपनी के लिए बड़ा जुआं साबित हो सकता है. क्योंकि अब तक सरकार ने इस बदलाव पर सहमति नहीं जताई है. सवाल ये है कि अगर सरकार कंपनी की मदद के लिए आगे नहीं आती है तो क्या होगा?
वोडाफोन आइडिया का कैपेक्स अपने कंपिटीटर्स से कम है. FY25 में कंपनी कैपेक्स पहली तिमाही में 8 अरब रुपये से बढ़कर दूसरी तिमाही में 14 अरब रुपये पर पहुंच गया. इसकी तुलना में 1H FY25 में भारती एयरटेल का कैपेक्स 130 अरब रुपये और जियो का कैपेक्स 200 अरब रुपये था.
इन्वेस्टर्स बीते 6 महीनों में 78% का नुकसान झेल चुके हैं, जिन लोगों ने पहले स्टॉक्स खरीदे थे, उन्होंने भी बीते एक साल में 60% का घाटा झेला है.
नुवामा ने शेयर पर 'HOLD' रेटिंग बरकरार रखी है, लेकिन फर्म ने कहा, 'वोडाफोन आइडिया को निवेश का सही विकल्प बनने के लिए कई चीजों को सही जगह पर लाना होगा.'
रिसर्च फर्म के मुताबिक इन्वेस्टर्स का ध्यान अब VIL के मुख्य ऑपरेशनल पैरामीटर्स पर होगा. इसमें सब्सक्राइबर्स के घटने की दर, भविष्य में टैरिफ बढ़ोतरी और कैपेक्स की गति खास होगी. बल्कि AGR बकाया पर आगे होने वाले डेवलपमेंट को भी ध्यान से देखा जाएगा.