सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'स्किल इंडिया' जैसी योजनाओं पर अपनी उम्मीदें टिकाते हुए मानव संसाधन विशेषज्ञों ने कहा कि रोजगार बाजार में इसका नतीजा सामने आने में 12-18 महीने लग सकते हैं।
श्रम ब्यूरो के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक रोजगार सृजन में नरमी आई है, हालांकि विनिर्माण, बुनियादी ढांचा और खनन क्षेत्र में वृद्धि के संकेत हैं जो मुख्य तौर पर रोजगार पैदा करते हैं।
एंटल इंटरनेशनल इंडिया के प्रबंध निदेशक जोसफ देवासिया ने कहा 'मुझे लगता है कि रोजगार सृजन अभी भी सपना है, लेकिन ऐसा लगता है कि नीतिगत फैसले इस दिशा में बढ़ रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कुछ ठोस नतीजा सामने आने में और एक-डेढ़ साल का समय लगेगा।
जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज के भारत एवं मेक्सिको कारोबार के प्रबंध निदेशक एवं प्रमुख विजय देशपांडे ने कहा 'हमारा मानना है कि अभी यह कहना बहुत जल्दी होगा। सरकार के कारोबार समर्थक दृष्टिकोण और हर उद्योग से मेक इन इंडिया अभियान को मिल रहे समर्थन के मद्देनजर हम आश्वस्त हैं कि वायदे पूरे होंगे।'
हालांकि चिंता का मुख्य विषय है कुशल कार्यबल का अभाव और इस चुनौती से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने सरकार तथा उद्योग के बीच मजबूत भागीदारी की वकालत की है ताकि बढ़ती युवा आबादी को प्रशिक्षित किया जा सके।
हीरो माइंडमाइन के निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी संदीप सोनी ने कहा 'मेक इन इंडिया के लिए श्रम सुधार, कारेाबार सुगम बनाने और सबसे अधिक शिक्षा एवं युवाओं का कौशल बढ़ाने पर जोर सही दिशा में उठाए गए कदम हैं जिससे रोजगार पैदा हुआ है और निकट भविष्य में राजेगार पैदा करना जारी रहेगा।'
वैश्विक स्तर की प्रमुख कंपनी मैनपावर ग्रुप के सर्वेक्षण के मुताबिक 58 प्रतिशत भारतीय नियोक्ताओं के रिक्त पदों पर नियुक्ति करना मुश्किल नजर आता है जबकि वैश्विक स्तर पर 38 प्रतिशत नियोक्ताओं को प्रतिभा में कमी का सामना करना पड़ रहा है।