सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान या SIP को व्यक्तियों के लिए सबसे अच्छे निवेश के रूप में देखा जाता है. बाजार के दिग्गजों, वित्तीय सलाहकारों और फंड मैनेजरों द्वारा संचालित SIP ये सुनिश्चित करता है कि निवेशकों का पैसा बाजार के उतार-चढ़ाव और तेज मूवमेंट्स के माध्यम से सुरक्षित रहे.
बाजार की दिशा तय करने में कई तरह के संकेतों की भूमिका होती है. इसलिए ज्यादा लाभ कमाने के लिए बाजार में निवेश का सही समय तय करना लगभग असंभव है. इसलिए, SIPs, निवेशकों के लिए कम्पाउंडिंग वर्क को कारगर बनाकर निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका है. ये पुरानी कहावत है कि 'बाजार में समय' (Time in the Market) की रणनीति, 'बाजार की टाइमिंग' (Timing the Market) की रणनीति से बेहतर होती है.
पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय बाजार में मजबूत फ्लो के कारण तेजी आई है. मुख्य रूप से घरेलू संस्थानों द्वारा किए गए निवेश के कारण.
म्यूचुअल फंड में लगातार खुदरा निवेश आने से बाजारों को और बढ़ावा मिला. ये मोटे तौर पर नए फंड ऑफरिंग, पैसिव फंड और अन्य के प्रति निवेशकों के बढ़ते आकर्षण से प्रेरित था.
हाल ही में, बाजार में तेजी का दौर ठंडा पड़ गया है क्योंकि नवंबर के मध्य से बाजार में सबसे लंबी गिरावट देखी गई है, जो मैक्रो-इकोनॉमिक और वैश्विक दोनों कारकों के कारण है. बढ़ते अमेरिकी डॉलर ने रुपये के वैल्यू में और गिरावट ला दी है.
इसलिए, इस गिरावट के कारण बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से रिकॉर्ड निकासी देखी गई है. इसके कारण SIP के माध्यम से किए गए निवेश से भी निगेटिव रिटर्न मिल रहा है, जिससे निवेशक चिंतित हैं. ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि इक्विटी बाजारों में निवेश करने का सबसे सुरक्षित तरीका माना जाने वाला एक मार्ग अब रेड में रिटर्न दे रहा है.
अब, ये रिटेल निवेशक को वास्तव में क्या संकेत देता है? क्या ये नेगेटिव रिटर्न SIP को रोकने के लिए चिंताजनक हैं? क्या इसे जारी रखना सुरक्षित है?
अपने निवेश पर नेगेटिव रिटर्न देखना कोई सुखद अनुभव नहीं है. SIP से लगातार निवेश के कारण बाजारों में उछाल आया था. लेकिन वैश्विक संकेतों के कारण हाल ही में बाजार में गिरावट आई, जिससे SIP से भी नेगेटिव रिटर्न मिला.
वर्तमान में बाजारों में निवेश करने वाले 80% से अधिक व्यक्तियों ने कभी भी बाजारों में इस हद तक गिरावट नहीं देखी है. लेकिन बाजारों में तो ऐसे समय होते हैं जब ये लगातार बढ़ते और गिरते हैं. अनुभवी निवेशक अक्सर इस समय से परिचित होते हैं.
इसका मतलब ये भी है है कि वे अनुमान लगाते हैं कि कुछ निश्चित अवधि के दौरान बाजार में गिरावट आएगी. जबकि, नए निवेशक जो कोविड-19 की गिरावट के बाद ही बाजार में आए हैं. वे इन चक्रों से परिचित नहीं हो सकते हैं.
इसका मतलब ये है कि ज्यादातर निवेशक नेगेटिव के बजाय बढ़ते दोहरे अंकों के रिटर्न को देखने के आदी हैं. इसलिए, ये बाजार के चक्र को समझना जरूरी है.
एडलवाइस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'जब एक साल का SIP रिटर्न नेगेटिव था, तो SIP जारी रखने और लंबी अवधि तक निवेशित रहने से न केवल नुकसान की भरपाई होती, बल्कि पॉजिटिव रिटर्न भी मिलता. जो लोग चक्रों से परिचित हैं, वे इस कारण से चिंतित नहीं होंगे.'
इस विवाद ने निवेशकों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या उन्हें अपने SIP को रोक देना चाहिए. अब, वित्तीय योजनाकारों के पास आगे के रास्ते के लिए सरल सलाह है. एटिका वेल्थ एडवाइजर्स के निदेशक निखिल कोठारी ने कहा, 'ये SIP जारी रखने का अच्छा समय है और अगर बाजार में और गिरावट आती है, तो आपको अपनी राशि बढ़ा देनी चाहिए. पहली बात जो याद रखनी चाहिए वो ये है कि इक्विटी में निवेश करते समय, आपके पास पांच से सात साल की समय सीमा होनी चाहिए.'
उन्होंने समझाया कि SIP का लाभ लागत औसत है और तर्क ये है कि आप मंदी के दौरान अधिक यूनिट खरीदते हैं. औसत एक साल के समय में नहीं होगा और पांच से सात साल में आपको लाभ दिखाई देगा. प्लानरुपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक अमोल जोशी ने कहा, 'केवल छह महीने की अवधि में SIP रिटर्न देखना नेगेटिव है.'