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निवेशकों की उम्मीदों के आसमान के लिए तैयार हो रही ड्रोन की उड़ान

ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, स्मित शाह मानते हैं कि 3 से 5 साल में, ड्रोन इंडस्ट्री 50,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जेनरेट कर सकती है.
NDTV Profit हिंदीविनय खुल्बै, मंगलम मिश्र
NDTV Profit हिंदी10:21 AM IST, 04 Jan 2023NDTV Profit हिंदी
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हाल में लिस्ट हुए DroneAcharya IPO की धमक ने ड्रोन बाजार की उम्मीदों को आसमान की ऊंचाइयों की ओर रवाना कर दिया है.

पुणे स्थित ड्रोन पाइलट ट्रेनिंग कंपनी जब बाजार में अपना IPO लाई, तो HNI, रिटेल और इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने इसे हाथों-हाथ लिया. IPO 262 गुना सब्सक्राइब किया गया. लिस्टिंग के बाद से हर दिन शेयर में अपर सर्किट लग रहा है.

4 जनवरी को ये 158 रुपये के भाव को छू गया. कहा जा सकता है कि ड्रोन टेक्नोलॉजी को इन्वेस्टर्स उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं.

ड्रोनआचार्य एरियल इनोवेशंस के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर प्रतीक श्रीवास्तव ने BQ प्राइम से कहा, "ड्रोनआचार्य ने रिटेल निवेशकों में भारी उत्सुकता पैदा की है. इसके अलावा इसमें शेयर मार्केट के दिग्गज शंकर शर्मा ने भी निवेश किया है. जिस तरह से सरकार 2030 तक भारत को दुनिया का ड्रोन हब बनाने की कोशिश में है, हमें लगता है कि भारतीय निवेशक आने वाले वर्षों में इंडस्ट्री में और अधिक पैसा लगाने के लिए तैयार हैं".

कंपनी में रणबीर कपूर और आमिर खान जैसे बॉलीवुड सितारों ने भी निवेश किया है.

30-35% रेवेन्यू
कंपनी का मानना है कि भविष्य में वो ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग कारोबार में भी उतरेंगे औ यहां से 30-35% रेवेन्यू आएगा हालांकि ट्रेनिंग उनका कोर बिजनेस बना रहेगा.

टेक-ऑफ के लिए तैयार

ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, स्मित शाह ने कहा, "ऐसा पहली बार हुआ है कि ड्रोन इंडस्ट्री की किसी स्टार्ट-अप कंपनी ने शेयर बाजार का रुख किया हो. इसके पहले, निवेशकों को ड्रोन सेक्टर की स्थापित कंपनियों के जरिए ही निवेश करने का मौका मिलता था".

ऐसा भी नहीं है कि इन्वेस्टर्स का जोश बेवजह हो. दरअसल, सामने जो मौका दिख रहा है वो बेहद बड़ा है.

पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड की कंपनी पारस एयरोस्पेस के CEO पंकज अकुला ने कहा. "भारत अवसरों का समुद्र है जिसको 5, 10 या 100 कंपनियां भी भर नहीं पाएंगी. चीन की ड्रोन इंडस्ट्री का साइज FY22 में $20 बिलियन को छू गया, जो भारत की ड्रोन इंडस्ट्री की तुलना में 100 गुना ज्यादा है"

वहीं स्मित शाह मानते हैं कि आने वाले 3 से 5 साल में, इंडस्ट्री 50,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जेनरेट कर सकती है".

ड्रोन की लैंडिंग कितनी सटीक?

ड्रोन इंडस्ट्री ये तो मानती है कि सरकार ने पॉलिसी को लेकर अच्छा काम किया है लेकिन इसे लागू करने में अब भी कुछ दिक्कतें हैं.

पारस एयरोस्पेस के अकुला ने कहा, "ड्रोन उड़ाने की अनुमति देने वाले नियमों में 2021 में बदलाव किया गया. ग्रीन जोन यानी जिन क्षेत्रों में आप ड्रोन उड़ा सकते हैं, उसे बढ़ाकर 80% कर दिया गया."

इन जगहों पर आप 500 किलोग्राम वजन तक के ड्रोन उड़ा सकते हैं. लेकिन, नए नियमों के अमल में आने के डेढ़ साल बाद भी महज 7 ड्रोन मॉडल्स को ही टाइप सर्टिफिकेट मिल सका है. टाइप सर्टिफिकेट यानी वो दस्तावेज जो बताता है कि ड्रोन उड़ान के लिए फिट है.

नए नियमों के तहत करीब 6 महीने पहले जब मंत्रालय ने पहला सर्टिफिकेट जारी किया तो कहा गया कि अगले 3 साल में करीब 100 सर्टिफिकेट दिए जाएंगे.

एक ड्रोन कंपनी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ने बताया, "वो अपने ड्रोन का टाइप सर्टिफिकेट लेने के लिए कई बार मंत्रालय का चक्कर लगा चुके हैं लेकिन हर बार स्टाफ की कमी या दूसरी वजहों से मामला अटक गया."

उन्होंने ये भी कहा कि पुराने सख्त नियमों की वजह से ड्रोन इंडस्ट्री पहले ही एक दशक पीछे चल रही है. लेकिन अब पॉलिसी बदलने के बाद अगर सामने दिख रही मुश्किलों को दूर किया जाए तो इस क्षेत्र में असीम अवसर मौजूद हैं.

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक ड्रोन से जुड़ी मोटर्स, बैटरी, सेल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी चीजें भी चुनौती हैं क्योंकि हम अभी इसके लिए आयात पर निर्भर हैं.

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