सरकार पुराने नोटों के एक्सचेंज पर पूरी तरह रोक लगाने पर विचार नहीं कर रही है. सरकारी अधिकारियों की ओर से यह सफाई तब आई है जब शुक्रवार को ही कुछ सरकारी सूत्रों ने कहा था कि सरकार को लगता है कि नोट बदलने के प्रस्ताव का गलत फायदा उठाया जा सकता है और यह 'बैंकिंग सिस्टम में बाधा' पैदा कर सकता है. सरकार की ओर से कहा गया है कि 'ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा जिससे जनता के बीच खलबली मच जाए.'
बता दें कि जब से नोटबंदी का फैसला लिया गया है उसके बाद से कुछ संबंधित खबरों में दिखाया गया है कि किस तरह 500 और 1000 रुपये के नोट बदलने के लिए एक ही व्यक्ति बार बार आ रहा है. इस वजह से जो जरूरतमंद हैं उन्हें पैसा नहीं मिल पा रहा है. पांच सौ और हज़ार रुपये के नोटों पर बैन लगने के बाद सरकार ने कहा था कि इन पुराने नोटों को साल के अंत तक बैंक में जमा करवा दिया जाए. उसके बाद घोषणा की गई कि फिलहाल के लिए चार हज़ार रुपये तक के पुराने नोटों को पांच सौ और 2 हज़ार रुपये के नए नोटों से बदला जा सकता है. इसी हफ्ते इस सीमा को बढ़ाकर 4500 रुपये कर दिया गया था जिसे गुरुवार को 2000 रुपये कर दिया गया.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने माना है कि इसके सबूत देखने को मिले हैं कि नए नोट लेने के लिए किसी और के लिए कोई और लग रहा है या फिर एक ही व्यक्ति बार बार लाइन में लग रहा है. ज्यादातर आर्थिक जानकारों ने सरकार के इस फैसले लेने के पीछे की नीयत का समर्थन किया है लेकिन साथ ही यह भी माना है कि ज्यादातर हालात यह दिखा रहे हैं कि सरकार इस फैसले के क्रियान्वयन को लेकर तैयार नहीं थी और उसे अंदाज़ा नहीं था कि लोगों को किस हद तक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.