स्टॉक ब्रोकर जीरोधा 25 अगस्त से डीमैट अकाउंट रेफरल्स पर ब्रोकरेज रेवेन्यू शेयर करना बंद कर देगी. ये फैसला NSE द्वारा जारी एक सर्कुलर के बाद लिया गया है.
दरअसल NSE ने अपने सर्कुलर में ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स को नए कस्टमर्स रेफर करने वाले पुराने कस्टमर्स के साथ ब्रोकरेज शेयर ना करने का निर्देश दिया है. कुछ मामलों में ये रेफरल देने वाले फिनफ्लूएंसर्स होते हैं, जो अपने वीडियोज से बड़ी संख्या में अकाउंट रेफर करते हैं.
हालांकि रजिस्टर्ड एंटिटीज के रेफरल्स पर ब्रोकरेज शेयरिंग जारी रहेगी.
NSE का तर्क है कि इस तरह के सिस्टम में रेफरल से मुनाफा कमाने के क्रम में कस्टमर्स को ज्यादा ट्रेड करने को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे कस्टमर्स के हितों को नुकसान हो सकता है.
NSE ने 14 अगस्त को जारी किए सर्कुलर में अनाधिकृत रेफरल स्कीम्स पर चिंता जताई थी और कहा था कि सिर्फ रजिस्टर्ड और अप्रूव्ड लोगों को को ही क्लाइंट रेफरल्स मैनेज करना चाहिए. इस नीति का उद्देश्य रेफरल एक्टिविटीज के गलत इस्तेमाल को रोकना और इन्हें स्थापित नियमों के तहत लाना है.
NSE ने कहा, 'कोई भी व्यक्ति जो किसी ब्रोकर को कोई क्लाइंट रेफर कर रहा है, तो उसका अधिकृत होना जरूरी है और जरूरी है कि वो सभी नियमों का पालन करे.' इस कदम का उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा और ट्रेडिंग प्रैक्टिस की अखंडता सुनिश्चित करना है.
जीरोधा ने इस सर्कुलर के बाद 10 रुपये से ज्यादा के सभी रेफरल वॉलेट बैलेंस को भुगतान पूरा करने की बात कही है. ब्रोकरेज शेयरिंग का मामला तो खत्म हो ही रहा है, लेकिन जीरोधा दूसरे तरीकों से रेफरल प्रोग्राम जारी रखेगी. इसके तहत रिवॉर्ड प्वाइंट्स पर फोकस किया जाएगा.
सर्कुलर के बाद जीरोधा ने कहा, 'नए NSE रेगुलेशंस का पालन करने के लिए हम रेफरल्स पर ब्रोकरेज रेवेन्यू शेयरिंग बंद कर रहे हैं. हालांकि हम एक सफल रेफरल के लिए 300 रिवॉर्ड प्वाइंट्स देना जारी रखेंगे, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग पेमेंट सर्विसेज के लिए किया जा सकता है.'