वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने आज कहा कि 50,000 रुपये अथवा इससे अधिक नकद लेन-देन करने पर बैंकिंग नकद लेनदेन कर (बीसीटीटी) लगाने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है. मुख्यमंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति ने नकद लेनदेन की सीमा तय करने और एक सीमा से अधिक नकद लेनदेन पर कर लगाने की सिफारिश की है.
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं किया गया है. एसोसिएटिड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री (एसोचैम) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, कुछ सुझाव आए हैं (नकद लेनदेन पर कर लगाने के बारे में)... सरकार ने मुख्यमंत्रियों की समिति के सुझाव पर कोई निर्णय नहीं लिया है. सरकार रिपोर्ट का सावधानीपूर्वक अध्ययन करेगी और उचित फैसला लेगी.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में डिजिटलीकरण पर गठित मुख्यमंत्रियों की समिति ने नकद में होने वाले सभी तरह के बड़े लेनदेन में नकदी के इस्तेमाल की सीमा तय करने और 50,000 रुपये से अधिक के नकद लेनदेन पर शुल्क लगाने की सिफारिश की है. दास ने अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि की दर सात प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद जताई है.
कापरेरेट की दरों में कमी की योजना पर उन्होंने कहा कि कॉपरेरेट कर दर में एक झटके में कमी नहीं की जा सकती है यह काम चरणबद्ध तरीके से होगा, क्योंकि इसके साथ कई मसले जुड़े हैं. दास ने कहा, दो साल पहले वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि कापरेरेट कर दरों को कम किया जायेगा, लेकिन सरकार के समक्ष कुछ राजकोषीय परेशानियां हैं. एक झटके में कर दर को घटाकर 25 प्रतिशत करना मुश्किल है क्योंकि इसका वित्तीय खामियाजा काफी अधिक होगा. ऐसे में सरकार अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों के साथ न्याय नहीं कर पाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार के विभिन्न नीतिगत उपायों के बाद अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रह सकती है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)