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नये एनपीए नियमों में राहत नहीं, लटक सकता है ढांचागत परियोजनाओं का वित्तपोषण

बैंकों की दबाव वाली संपत्ति के मामले में जारी नये नियमों में रिजर्व बैंक की तरफ से फिलहाल कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है. यही वजह है कि बैंक लंबी अवधि के कर्ज, विशेषकर ढांचागत परियोजनाओं के लिये दिये जाने के वाले कर्ज को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं और इनका वित्तपोषण लटक सकता है.
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NDTV Profit हिंदी04:17 PM IST, 01 May 2018NDTV Profit हिंदी
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बैंकों की दबाव वाली संपत्ति के मामले में जारी नये नियमों में रिजर्व बैंक की तरफ से फिलहाल कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है. यही वजह है कि बैंक लंबी अवधि के कर्ज, विशेषकर ढांचागत परियोजनाओं के लिये दिये जाने के वाले कर्ज को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं और इनका वित्तपोषण लटक सकता है.    

रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी को एक नया सर्कुलर जारी किया. इसमें फंसे कर्ज के समाधान के लिये नई रूपरेखा जारी की गई. रिजर्व बैंक के इन नये नियमों में कर्ज में फंसी राशि के त्वरित समाधान पर जोर दिया गया है. बैंकों को फंसी राशि के त्वरित समाधान के साथ आगे आना होगा और उसे समयबद्ध दायरे में रहते हुये राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण ( एनसीएलटी ) के समक्ष ले जाना होगा.

नये नियमों में बैंकों को एक दिन की देरी होने पर भी फंसे कर्ज के बारे में जानकारी देने को कहा गया है. बैंकों ने इस बारे में केन्द्रीय बैंक से कुछ राहत देने की मांग की थी लेकिन रिजर्व बैंक ने इस संबंध में जारी अपने 12 फरवरी के सर्कुलर में कोई राहत नहीं दी है.

एक वरिष्ठ बैंकर ने इस मामले में अपनी बात रखते हुये कहा, ‘‘रिजर्व बैंक ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले में कोईरियायत नहीं देने जा रहा है. अब मेरा मानना है कि बैंक काफी सतर्क हो जायेंगे. खासतौर से बिजली, सड़क और बंदरगाह जैसे क्षेत्रों में जहां दीर्घकाल के लिये वित्तपोषण की आवश्यकता होती है उनमें काफी सतर्कता बरती जायेगी. बैंकर का कहना है कि कर्ज का ज्यादातर पुनर्गठन ढांचागत क्षेत्र के लिये दिये गये दीर्घकालिक कर्ज के मामले में ही होता है.

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