दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिकी दवा कंपनी मर्क शार्प एंड दोम (एमएसडी) को पेटेंट मामले में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
अमेरिकी कंपनी ने अपनी याचिका में घरेलू दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स को उसकी मधुमेह की दवा जिटा और जिटा मेट के उत्पादन और विपणन के खिलाफ स्थगन आदेश जारी किए जाने का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय इंडला ने बहुराष्ट्रीय कंपनी के अंतरित आवेदन को खारिज कर दिया। कंपनी ने अपनी याचिका में कहा था कि मुंबई की कंपनी ने मधुमेह की दवाओं में जो यौगिक उपयोग किया हैं, वह उसका इजाद किया हुआ है और जेनेरिक नहीं है। इस आधार पर कंपनी ने याचिका में ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स को मधुमेह की दवा जिटा और जिटा मेट को बनाने और विपणन पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
एमएसडी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उसकी मधुमेह की दवाओं जानुविया तथा जानुमेट के मामले में भारतीय दवा कंपनी ने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) का उल्लंघन किया है। अमेरिकी कंपनी के अनुसार ग्लेनमार्क की मधुमेह की दवाओं में उसी यौगिक का उपयोग किया गया है, जो उसकी दवाओं में है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को नोवार्तिस एजी की कैंसर दवा ग्लिवेक के पेटेंट को लेकर याचिका खारिज कर दी थी। बहरहाल, उच्च न्यायालय ने अमेरिकी कंपनी की मुख्य याचिका लंबित रखी है और उसे अन्य संबंधित साक्ष्य देने को कहा है। मामले में अगली कार्यवाही 16 जुलाई को संयुक्त पंजीयक के समक्ष होगी।