विकसित होते भारत के लिए ऊर्जा की जरूरतें बढ़ रही हैं. केंद्र की ओर से चलने वाले पावर सेक्टर के एक सलाहकार के मुताबिक, रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) पर बढ़ते फोकस के बावजूद 2032 तक भारत को कोयले से अतिरिक्त 80,000 MW ऊर्जा की जरूरत होगी.
ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) के मुताबिक, इस डिमांड को पूरा करने के लिए, मार्च 2032 तक 6.67 लाख करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर की जरूरत पड़ेगी.
ऊर्जा के रिन्यूएबल सोर्स पर अभी बहुत भरोसा नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही, ऊर्जा मंत्रालय ने कहा था कि भारत की ऊर्जा को संरक्षित रखने के लिए केवल ग्रीन एनर्जी (Green Energy) पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है. जब तक कम कीमत वाले एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस नहीं मिलते, तब तक के लिए कोयले पर आधारित ऊर्जा की जरूरत पड़ेगी.
2013-14 में भारत की ऊर्जा की अधिकतम डिमांड 135 गीगावॉट थी. इलेक्ट्रिक पावर सर्वे के मुताबिक, 2026-27 तक भारत को 277.2 GW और 2031-32 तक 366.4 GW की जरूरत पड़ेगी.
ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, 30 मई को, पावर सेक्टर को अधिकतम 250 GW ऊर्जा डिमांड दर्ज की गई. 29 मई को भी ऊर्ज की अधिकतम डिमांड 234.3 GW दर्ज की गई.
नेशनल इलेक्ट्रिक प्लान (National Electric Plan) के मुताबिक, 2031-32 के लिए इंस्टॉल्ड कैपिसिटी की जरूरत 9 लाख MW से कुछ ज्यादा हो सकती है. इसमें जीवाश्म ईंधन से 2.84 लाख MW और थर्मल ईंधन से 2.6 लाख MW ऊर्जा शामिल है.
नीति आयोग के डेटा के मुताबिक, कोयले पर आधारित ऊर्जा से 2.83 लाख MW की जरूरत होगी, वहीं इंस्टॉल्ड कैपिसिटी 2.17 लाख MW की जरूरत होगी.
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के मुताबिक, इतने स्तर पर कोयले से ऊर्जा के निर्माण के लिए 80,000 MW ऊर्जा की जरूरत होगी.
2024 में भारत कोयले पर आधारित 13.9 GW ऊर्जा का ऑपरेशन शुरू कर सकता है, जो कि बीते 6 साल का उच्चतम स्तर है.
ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, 'अगले 18 महीने में, 19,600 MW क्षमता के कमीशनिंग हो सकती है'.
नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान के मुताबिक, 2021-22 तक कोयले पर आधारित ऊर्जा की कमीशनिंग के लिए 8.34 करोड़ रुपये/ MW पर सेटअप होता था.
वहीं, 2031-32 के लिए कोयले पर आधारित इतनी ऊर्जा के लिए 6.67 लाख करोड़ रुपये कैपेक्स का अनुमान है.
अंडर-कंस्ट्रक्शन कंपनियों के कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए ये कठिन अनुमान है. हालांकि, प्रति मेगावॉट एक्सपेंडिचर रेट के आधार पर, एडवांस स्टेज पर प्लानिंग के लिए एक्सपेंडिचर के लिए 5.07 लाख करोड़ रुपये का खर्च किया जा सकता है.
NTPC
एलारा कैपिटल में पावर यूटिलिटीज में सीनियर एनालिस्ट रुपेश सांखे ने कहा, रिन्यूएबल एनर्जी डिमांड के मुताबिक नहीं बढ़ पा रही है, इसलिए कंपनी ने नई थर्मल ऊर्जा का ऑर्डर और टेंडर शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा, थर्मल कैपिसिटी को जोड़ने से NTPC को फायदा होगा और टेंडरिंग तक पहुंचते-पहुंचते कंपनी 15 GW की थर्मल क्षमता तक जोड़ चुकी होगी.
कंपनी भविष्य में 15.2 GW की थर्मल क्षमता विकसित कर सकती है. इसके साथ ही, 9.6 GW की थर्मल क्षमता पहले से ही निर्माण में है.
अदाणी पावर (Adani Power)
अदाणी पावर भारत में थर्मल पावर की सबसे बड़ी निर्माता है. कंपनी की 24 GW ऊर्जा बढ़ाने की थर्मल क्षमता है. FY24 की मार्च तिमाही में इन्वेस्टर प्रेजेंटेशन के दौरान, कंपनी ने थर्मल पावर क्षमता को बढ़ाने की जरूरत के बारे में बताया था.
ईंधन की वाजिब दाम पर उपलब्धता के चलते थर्मल पावर प्लांट का बेहतर कैपिसिटी यूटिलाइजेशन हो सकता है.
कंपनी मध्य प्रदेश के सिंगरौली के महान प्लांट में 1,600 MW एक्सपेंशन का प्रोजेक्ट चला रही है. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ पावर प्लांट में कंपनी 1,600 MW के थर्मल पावर प्लांट का सेटअप कर रही है.
टाटा पावर (Tata Power)
टाटा पावर की मौजूदा थर्मल क्षमता 8.8 GW की है, जो कुल क्षमता का 60% है. कंपनी अपने रिन्यूएबल एनर्जी पोर्टफोलियो को बढ़ाने की प्लानिंग कर रही है, जो कि इसकी कुल क्षमता का 40% है.
JSW एनर्जी (JSW Energy)
बीते वित्त वर्ष में, JSW एनर्जी लिमिटेड की कुल थर्मल ऑपरेशनल क्षमता 3,508 MW की रही थी. इसमें 350 MW की थर्मल यूनिट निर्माणाधीन है. कंपनी के मुताबिक, इसकी कुल क्षमता में 72% लॉन्ग टर्म पावर परचेज एग्रीमेंट के लिए रखी गई है.