जैसे-जैसे 1 अप्रैल 2024 की तारीख नजदीक आती जा रही है, देश के लोकल सोलर पैनल मैन्युफैक्चरर्स की मांग बढ़ती जा रही है कि 2019 में जारी किए गए मॉड्यूल्स व मैन्युफैक्चरर्स की लिस्ट (Approved List of Models and Manufacturers, ALMM) के ऑर्डर को ही जारी रखा जाए. इस लिस्ट की डेडलाइन 31 मार्च को खत्म हो रही है.
कंस्ट्रक्शन की एडवांस्ड स्टेज से जुड़े सर्कुलर को 9 फरवरी को जारी किया गया था, लेकिन इसे अमल में लाया जाएगा या नहीं, इस पर अभी भी संशय बना हुआ है. प्रोजेक्ट डेवलपर्स और घरेलू मैन्युफैक्चरर्स दोनों के ही मन में इसे लेकर उहापोह जारी है.
15 फरवरी को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के मंत्रालय (Ministry of New & Renewable Energy) ने 9 फरवरी को जारी किए गए फैसला लिए जाने तक स्थगित कर दिया. इसमें कंस्ट्रक्शन के एडवांस्ड स्टेज में परियोजनाओं को छूट दी गई थी जिनके लिए आखिरी तारीख 31 मार्च 2024 की थी.
इसमें ALMM से ओपन एक्सेस प्रोजेक्ट्स और कैप्टिव और ग्रुप कैप्टिव प्रोजेक्ट्स को भी छूट दी गई थी.
घरेलू मैन्युफैक्चरर्स इस बात से भारी चिंता में हैं. ALMM को सस्पेंड किए जाने से उनके मार्केट शेयर को भी नुकसान हुआ है. 1 साल तक की छूट मिलने से उनके प्रोजेक्ट्स को डेवलपर्स ऑर्डर कर सकते हैं.
उनका मानना है कि सरकार ALMM पर अपने 2019 के ऑर्डर को लागू करे और 9 फरवरी को जारी किए सर्कुलर के मुताबिक इसमें कुछ छूट मिले.
प्रोजेक्ट डेवलपर्स इस छूट को मिलने को लेकर संशय में हैं. अगर 1 अप्रैल को ALMM को फिर से लगा दिया गया, तो उनके महंगे घरेलू प्रोडक्ट्स खरीदने पड़ेंगे.
डेवलपर्स को ये सामान घरेलू पैनल के मुकाबले सस्ते में मिल जाता है. ये चीन से आने वाले सामान पर 40% इंपोर्ट ड्यूटी लगने के बाद भी सस्ता होता है.
सरकार के लिए बड़ा पेंच ये है कि उसे आत्मनिर्भरता को भी प्रोमोट करना है और 2030 तक 280 GW के सोलर कैपिसिटी के लक्ष्य को भी ध्यान में रखना है.
भारत के पास पर्याप्त मात्रा में प्रोडक्शन ऑपरेशन नहीं है. इसके चलते सोलर पैनल की बढ़ती डिमांड को सरकार पूरा नहीं कर पा रही है.
भारत फिलहाल 12 GW ऊर्जा का ही उत्पादन करता है और ALMM में मौजूदा क्षमता 20 GW की है. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के मंत्रालय के मुताबिक, भारत को हर साल 30 GW की बढ़ोतरी करते हुए 2030 के टारगेट को पूरा करना है. 20 और 12 GW के बीच जो 8 GW की ऊर्जा है, ये कमीशनिंग के कई चरणों से गुजरेगी, जिसे पूरा होने में 6-12 महीने का वक्त लग सकता है.
ALMM के अंतर्गत मंजूरी के लिए अन्य 20 GW ऊर्जा के लिए आवेदन पड़े हुए हैं. एक बार मंजूरी मिलने के बाद, इससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बूस्ट मिलेगा.
हालांकि, इसकी कमीशनिंग में 18 महीने का समय लग सकता है. ये मॉड्यूल प्लांट और इंटिग्रेटेड प्लांट और वेफर्स पर भी निर्भर करता है.
भारत जब तक इस कैपिसिटी तक पहुंचता है, मैन्युफैक्चरर्स और डेवलपर्स दोनों की ही ओर से ये दबाव बना रहेगा.
घरेलू मैन्युफैक्चरर्स ने NDTV Profit से बातचीत में बताया कि ALMM के नहीं होने से सस्ते चीनी पैनल की डंपिंग भारत में होगी, जिससे उनके मार्केट शेयर पर असर पड़ेगा. वहीं, अगर देरी जारी रही, तो ये आत्मनिर्भरता के मिशन पर दबाव बढ़ाएगा.
अपना नाम न बताने की शर्त पर एक मैन्युफैक्चरर ने NDTV Profit को बताया, बीते साल कुल 18 GW के सोलर पैनल इंपोर्ट किए गए, लेकिन कुल प्रोग्रेस 8.5 GW की रही.
FY24 के शुरुआती 6 महीने, भारत में सोलर मॉड्यूल इंपोर्ट तेजी के चलते $1.13 बिलियन तक चला गया. एनिनराक कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, ये पूरे FY23 के दौरान इंपोर्ट किए गए PV पैनल के आंकड़े को पार कर गया, जो कुल $943.53 मिलियन रहा.
उन्होंने कहा, 'अगर ALMM को लागू किया जाता है, इससे मार्केट शेयर मौजूदा 30-35% से बढ़कर 70-75% तक हो जाएगा'.
अगर ALMM कुछ शर्तों के साथ लागू किया जाता है, जैसे कि 31 मार्च के पहले तक कंस्ट्रक्शन से छूट या फिर कहां को ऑर्डर दिया गया है, तो ये नियमों के पालन करने की ओर शिफ्ट होगा.
उन्होंने कहा, 'ये सोलर मॉड्यूल्स के घरेलू मैन्युफैक्चरर्स के लिए एक बड़ा बूस्ट होगा. FY24 में घरेलू मैन्युफैक्चरर्स के लिए ऑपरेटिंग मार्जिन 12-14% के करीब होगा, जिसमें एक्सपोर्ट की बड़ी भागेदारी होगी. अगर ALMM लागू रहता है, तो ये FY25 में भी जारी रहेगी'.
2023-24 में (दिसंबर 2023 तक), भारतीय कंपनियों ने अकेले अमेरिका को 2.87 GW के मॉड्यूल्स एक्सपोर्ट किए. सस्ते चीनी पैनल्स से मुकाबला करने के लिए घरेलू मैन्युफैक्चरर्स के लिए एक्सपोर्ट्स एक बड़ा जरूरी जरिया है.
पैनल की कीमतें भी बीते साल में 50% तक कम हुई हैं. भारी सप्लाई और ओवरप्रोडक्शन के चलते ये तेजी आई.
भारत में पैनल मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने वाली एक जर्मन कंपनी एक्सिटेक इंडिया (Axitec India) के CEO तन्मय दुआरी का कहना है कि डेवलपर और घरेलू मैन्युफैक्चरर की डिमांड को साधने के लिए सरकार ALMM में 1 अप्रैल को कुछ छूट के साथ मंजूरी दे सकती है. ये दोनों ही पार्टिंयों के लिए फायदे का सौदा होगा.