रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने व्यक्तियों द्वारा वित्तीय निवेश पर मिलने वाली कर छूट की सीमा बढ़ाने की वकालत की है। अभी विनिर्दिष्ट योजनाओं में सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर आयकर में छूट मिलती है।
राजन ने माना कि पिछले बजट में ही कर-छूट वाले निवेश की सीमा 50,000 रुपये बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये की गई थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह सीमा लंबे समय से एक लाख रुपये तक सीमित रही जिससे इस योजना का लाभ कम हो चुका है।
राजन ने विश्लेषकों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘सरकार ने पिछले बजट में बचतों पर कर लाभ सीमा में 50,000 रुपये की वृद्धि की। सवाल यह उठता है कि क्या इसे बढ़ाने की और गुंजाइश है क्योंकि लंबे समय तक एक लाख रुपये की कर छूट सीमा के कारण समय के साथ वास्तविक कर लाभ कम हुआ है। हो सकता है ऐसे में हम इस सीमा को बढ़ा सकते हैं।’’
लोक भविष्य निधि, भविष्य निधि, नई पेंशन योजना, बीमा नीतियों तथा इक्विटी आधारित बचत योजनाओं पर किए गए सालाना 1.50 लाख रुपये तक के निवेश को आयकर कानून की धारा 80सी के तहत कर योग्य आय में से घटा दिया जाता है। इससे वित्तीय बचत में मदद मिलती है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली 28 फरवरी को आम बजट पेश करेंगे।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बचत दर घटकर 30 प्रतिशत पर आ गई है जो वित्त वर्ष 2007-08 में 36.9 प्रतिशत से अधिक थी।
राजन ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक गलत जगह सब्सिडी खर्च करने के बजाए पूंजीगत व्यय के साथ गुणवत्तापूर्ण राजकोषीय मजबूती देखना चाहेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘गलत जगह सब्सिडी खर्च के बजाए पूंजीगत व्यय बेहतर कदम होगा।’’ राजन ने यह स्पष्ट किया कि रिजर्व बैंक सब्सिडी के खिलाफ नहीं है और कुछ तबकें हैं जिन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए।