देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बुधवार को अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की जिससे रेपो रेट घटकर 6 प्रतिशत रह गया है जोकि सात साल के सबसे निचले स्तर पर है. ऐसे में यदि बैंकों ने भी इसी अनुपात में अपने ग्राहकों को इस कटौती का लाभ देते हुए ब्याज दरों में कटौती की तो यकीन मानिए यह एक बेहद नफे का सौदा साबित होगा. हालांकि बुधवार को केंद्रीय बैंक द्वारा रेट कट के ऐलान के बाद यह खबर लिखे जाने तक किसी बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती को लेकर कोई ऐलान नहीं किया गया है.
यह भी पढ़ें- सस्ते हो सकते हैं होम लोन, रेपो रेट में .25% की कटौती
ऐसे में वे लोग जो पिछले कुछ समय से लोन लेने का प्लान बना रहे हैं लेकिन अभी तक कागजी प्रक्रिया शुरू नहीं की है, उन्हें अभी इतंजार करना चाहिए. खासतौर से वे लोग जो अपने सपनों के मकाने के लिए होम लोन लेना चाहते हैं या फिर वे लोग जो अपनी कार खरीदने का मन बना रहे हैं, वे चंद दिन इंतजार करें. यह इंतजार इसलिए भी करना नफे का सौदा साबित हो सकता है क्योंकि जानकारों का मानना है कि बैंक कर्ज पर दी जाने वाली ब्याज दरों में कटौती नहीं भी कर सकते हैं बल्कि वे एमसीएलआर में कटौती करेंगे.
यह भी पढ़ें- डीडीए हाउसिंग स्कीम 2017 : 11 अगस्त 2017 तक खुली है स्कीम- जानें पांच खास बातें
यदि बैंक ऐसा करते हैं तो फायदा उन लोगों को होगा जो लोन अप्लाई करने जा रहे हैं न कि उनको जोकि लोन ले चुके हैं और अपनी ईएमआई घटने का इतंजार कर रहे हैं. हालांकि अब देखना यह है कि कितने बैंक एमसीएलआर (MCLR) घटाते हैं और कितने बैंक कर्ज पर इंट्रेस्ट रेट घटाने का मन बनाते हैं.
एक नजर में आपको बता दें कि एमसीएलआर आखिर है क्या. दरअसल फॉर्मूला बैंकों के लिए लेंडिंग इंटरेस्ट रेट तय करने के नए फॉर्मूले का नाम मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) है. इंट्रेस्ट रेट का यह नया फॉर्मूला पिछले साल 1 अप्रैल से लागू हो चुका है. एमसीएलआर के बारे में खास बात यह है कि यह एक साल से पहले नहीं बदलता.