भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने कहा कि सैद्धान्तिक रूप से देखा जाए तो नोटबंदी कालाधन समाप्त करने के लिए एक अच्छा कदम था लेकिन यदि नतीजों के हिसाब से देखा जाए, तो यह अच्छा साबित नहीं हुआ.
एनसीएईआर के एक कार्यक्रम में जालान ने कहा, ‘सैद्धान्तिक रूप से नोटबंदी अच्छी थी, किसी को कालेधन को पकड़े जाने पर आपत्ति नहीं है. लेकिन यदि आप नतीजों को देखें तो आप देख सकते हैं यह कदम सही साबित नहीं हुआ.’ उन्होंने कहा कि यदि इसने ठीक काम नहीं किया है तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसके स्थान पर क्या कर सकते हैं जो सही साबित हो.
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने नोटबंदी को ‘एक रचनात्मक विध्वंस’ बताया था. उन्होंने इसकी तुलना 1991 के सुधारों से की. उन्होंने कहा कि यह 1991 के बाद से अब तक का सबसे बड़ा ‘उलटफेर पैदा करने वाला नीतिगत नवप्रवर्तन’ है. इससे कालाधन को नष्ट करने में मदद मिली है.
वहीं, नोबेल प्राइज़ विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन नोट बंदी जैसे निर्णय से खुश नहीं दिखे थे. एक अंग्रेजी अखबार के साथ साक्षात्कार में प्रोफेसर सेन ने सरकार के नोट बंदी के इरादे और अमल पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था यह "निरंकुश कार्रवाई" जैसी है और सरकार की “अधिनायकवाद प्रकृति” का खुलासा करती है.
(न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट)