एडलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज (Edelweiss Financial Services) ने मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दर्ज 750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के केस पर सफाई दी है. कंपनी ने कहा है कि ये मामला धोखाधड़ी का नहीं, बल्कि पूरी तरह से एक सिविल डेस्प्यूट है, जो पहले से ही कोर्ट में चल रहा है.
एक्स्टसी रियल्टी (Ecstasy Realty Pvt. Ltd.) ने एडलवाइस और उसकी 15 सहयोगी कंपनियों पर फरवरी में केस दर्ज कराया था. आरोप है कि एडलवाइस ने 2018 से 2022 के बीच 1,350 करोड़ रुपए का लोन दिया, लेकिन इनमें से सिर्फ 600 करोड़ रुपये ही दिए गए. बाकी 750 करोड़ रुपए को लेकर धोखाधड़ी और 'एवरग्रीनिंग' का आरोप लगाया गया है.
एडलवाइस ने स्टॉक एक्सचेंज को बताया कि असल में एक्स्टसी रियल्टी पर उसका करीब 1,700 करोड़ रुपये बकाया है, न कि उल्टा. इसमें 480 करोड़ रुपये का प्रिंसिपल अमाउंट भी शामिल है.
कंपनी ने साफ किया किएक्स्टसी रियल्टी के प्रोजेक्ट्स की बिक्री धीमी रही और उन्हें समय पर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट भी नहीं मिले, जिसके कारण ब्याज चुकाने में दिक्कत आई. 2018 से 2022 तक उन्होंने कर्ज चुकाने के लिए छूट (Moratorium) मांगी थी, जिसे डिबेंचर होल्डर्स ने मंजूर नहीं किया.
आखिरकार, जून 2022 में एक्स्टसी रियल्टी का अकाउंट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित कर दिया गया.
एडलवाइस ने कहा कि एक्स्टसी रियल्टी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में भी इसी मुद्दे पर राहत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने सितंबर 2022 में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.
बीते दिसंबर में रिजर्व बैंक ने एडलवाइस की दो कंपनियों- ECL फाइनेंस और एडलवाइस एसेट री-कंस्ट्रक्शन, से बिजनेस से जुड़ी पाबंदियां हटा दी थीं. एडलवाइस की एक और यूनिट EAAA इंडिया ऑल्टरनेटिव्स ने 1,500 करोड़ रुपये के OFS के जरिए IPO लाने के लिए आवेदन किया है.