साल 2023 रियल एस्टेट के लिए बंपर साल साबित होने जा रहा है. 2022 में हाउसिंग सेल्स की शानदार स्थिति से ये उम्मीद जगी है. एनारॉक के सर्वे के मुताबिक देश के 7 प्रमुख महानगरों में रियल एस्टेट इस कदर बूम पर है कि इसने 2014 की ऊंचाई को भी कमतर साबित कर दिया है. माना जा रहा है कि जैसे ही मलमास या खरमास का महीना 14 जनवरी तक खत्म होगा, एक बार फिर नये घर खरीदारों का हुजूम उमड़ेगा.
2022 होम बायर्स के लिए कई कारणों से अनुकूल था. पिछले कुछ सालों से कीमत में स्थिरता बनी हुई थी. होमलोन की ब्याज दर कम रही. इसके अलावा शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव से वैसे निवेशक रियल एस्टेट की ओर मुड़े जिन्हें कम जोखिम लेना था. चूकि रियल एस्टेट में यह बूम स्वाभाविक रूप से आया है, इसलिए यह स्थायी रहने वाला है और 2023 में भी इस क्षेत्र में रौनक बरकरार रहेगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि 2023 में प्रॉपर्टी के रेट में 6% से 10% की दर से बढ़ने वाले हैं. एनारॉक का रिसर्च बताता है कि बीते चार वर्षों में देश के 7 महानगरों में प्रॉपर्टी के भाव जहां 2% सालाना के हिसाब से बढ़ रहे थे, वहीं 2022 में प्रॉपर्टी के रेट में 5% की बढ़ोतरी हुई है.
रियल एस्टेट के विशेषज्ञ मानते हैं कि जनवरी 2023 से मार्च 2023 तक की तिमाही इस क्षेत्र के लिए शानदार रहने वाला है. आगे की स्थिति सरकार की नीतियों पर निर्भर करेगी. रेपो रेट में लगातार इजाफा के बावजूद रियल एस्टेट का बूम 2022 में देखने को मिला. 2022 में कुल 2.25% की बढ़त रेपो रेट में देखने को मिली थी. रेपो रेट बढ़ने से होम लोन महंगा हो जाता है. हालांकि 2022 में मामूली रूप से महंगे हुए होमलोन का कोई नकारात्मक असर रियल एस्टेट पर देखने को नहीं मिला.
एनारॉक का सर्वे कहता है कि 2021 में जहां 2.36 लाख मकानों की बिक्री हुई थी. वहीं, 2022 में 3.64 लाख मकानों की बिक्री हुई है. यह पिछले साल के मुकाबले 5% ज्यादा है. 2014 में 3.43 लाख मकानों की बिक्री हुई थी. यह रिकॉर्ड 2022 में टूट गया है.
कहा यह जा रहा है कि 2023 में नई इंवेंट्री कम देखने को मिलेगी. ऐसा 2022 में भी देखने को मिला. कुछ वर्षों में रियल एस्टेट में आयी मंदी के कारण निवेशकों में एक छिपा हुआ भय रहा है. इसी कारण वे निवेश करने में संकोच करते रहे हैं. 2014 से पहले जिस तरह नए प्रोजेक्ट लॉन्च हो रहे थे वैसी स्थिति अब तक बाजार में नहीं लौटी है.
2023 में रियल एस्टेट में रौनक बरकरार रहने के जो कुछ खास ग्लोबल फैक्टर हैं उन पर गौर करें-
अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला थमे
अमेरिका में भारतीय मूल के IT प्रोफेशनल्स की नौकरी बची रहे
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट न हो
ग्लोबल आर्थिक मंदी की स्थिति में सुधार हो
अमेरिकी बाजार, विदेश मे खासकर अमेरिका में भारतीयों के लिए रोजगार और ग्लोबल आर्थिक मंदी जैसे फैक्टर रियल एस्टेट बाजार में निवेश को प्रभावित करते हैं. रियल एस्टेट का जो कॉमर्शियल सेक्टर है उसमें विदेशी पूंजी सबसे ज्यादा लगी हुई होती है. यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारतीय रियल एस्टेट बाजार में 70% कमर्शियल ऑफिस स्पेस विदेशी कंपनियों के लिए हैं.
NRI का सेंटिमेंट भारतीय रियल एस्टेट बाजार के लिए महत्व रखता है. 2017 में जहां 9.4 अरब डॉलर का निवेश प्रवासी भारतीयों ने इस क्षेत्र में किया था, वहीं 2021 में यह बढ़कर 13.3 अरब डॉलर हो गया. वैश्विक आर्थिक मंदी से यह सेंटिमेंट बिगड़े नहीं, यह महत्वपूर्ण है. वैसे भारत में आर्थिक विकास की दर दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है. कहने का मतलब यह है कि 2023 रियल एस्टेट के लिए बहुत शुभ साबित होने जा रहा है.