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किफायती घर और मंजूरी प्रक्रिया में तेजी; नई सरकार से मुंबई के रियल एस्टेट को क्या आस; सुनें इंडस्ट्री के दिग्गजों की राय

इंडस्ट्री के दिग्गजों के मुताबिक सरकार में स्थिरता, केंद्र और राज्य सरकार के बीच अच्छा समन्वय मंजूरियों की बेहतर व्यवस्था बना सकता है, साथ ही अफॉर्डेबिलिटी से जुड़ी चुनौतियों का समाधान भी कर सकता है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:32 PM IST, 26 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े दिग्गजों का मानना है कि महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे मुंबई के प्रॉपर्टी मार्केट पर बड़ा असर डाल सकते हैं. NDTV Profit से बात करते हुए इंडस्ट्री के दिग्गजों ने कहा कि सरकार में स्थिरता, केंद्र और राज्य सरकार के बीच अच्छा समन्वय मंजूरी प्रक्रिया की बेहतर व्यवस्था बना सकता है, इंफ्रा डेवलपमेंट को बूस्ट दे सकता है. साथ ही किफायती घरों से जुड़ी चुनौतियों का समाधान भी कर सकता है.

अगर सरकार में स्थिरता रहेगी, तो प्रोजेक्ट्स को मंजूरी की प्रक्रिया ज्यादा आसान रहेगी. अगले 5 साल के लिए नीतियां ज्यादा निरंतर रहेंगी और रोड और कनेक्टिविटी का इंफ्रा विस्तार कर सकता है. फिर केंद्र और राज्य की सरकारों का बेहतर तालमेल इन प्रक्रियाओं को और तेज कर सकता है.
अनुज पुरी, चेयरमैन, एनारॉक ग्रुप

हाई डिमांड के बावजूद MMR में रियल एस्टेट मार्केट के सामने बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं. पुरी कहते हैं, 'बड़ा मुद्दा मांग नहीं, बल्कि मंजूरी मिलने में देरी के चलते प्रोजेक्ट लॉन्च ना कर पाना है. अनसोल्ड इन्वेंट्री इस वक्त अपने सबसे निचले स्तर पर है, अगर सप्लाई नहीं बढ़ाई जाती, तो कीमतें बढ़ना जारी रहेगा.'

वहीं कीस्टोन रियलटर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन बोमन ईरानी कहते हैं, 'स्लम रीडेवलपमेंट के लिए सरकार की प्रतिबद्धता और मंजूरी मिलने की प्रक्रिया को तेज करना सेक्टर के लिए पॉजिटिव डेवलपमेंट है. रीडेवलपमेंट सेक्टर में जबरदस्त संभावनाएं हैं.'

अफॉर्डेबिलिटी को दोबारा परिभाषित करना चाहिए: अजमेरा

वहीं अफॉर्डेबल हाउसिंग पर बात करते हुए अजमेरा रियल्टी & इंफ्रा के डायरेक्टर धवल अजमेरा कहते हैं कि हमें हाउसिंग अफॉर्डेबिलिटी को मापने के तरीके की दोबारा व्याख्या करनी होगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल सरकार कीमत और आकार दोनों के ही आधार पर अफॉर्डेबल हाउसिंग का वर्गीकरण करती है जिसमें 45 लाख रुपये की अधिकतम सीमा भी तय है.

लेकिन मुंबई जैसे शहर में कीमतें काफी ज्यादा हैं, ऐसे में सरकार के इन दो पैमानों पर कई संभावित यूनिट्स अफॉर्डेबल हाउसिंग की कैटेगरी से बाहर रह जाती हैं. अजमेरा का कहना है कि इसके लिए सिर्फ आकार पर फोकस किया जाना चाहिए. वे इसके लिए 600 वर्ग फीट के अपार्टमेंट को अफॉर्डेबिलिटी क्रिटेरियी में लाने का सुझाव देते हैं, जिससे 60-70% अपार्टमेंट्स इस कैटेगरी में आ जाएंगे. उन्होंने कहा, 'कीमतों की अधिकतम सीमा हटाकर और आकार के आधार पर अफॉर्डेबिलिटी के मापकर हम बाजार को दोबारा आकार दे सकते हैं.'

कमर्शियल रियल एस्टेट पर भी लोगों का खूब ध्यान जा रहा है. खासतौर पर BKC, लोअर परेल, अंधेरी और ठाणे उभरते हुए क्षेत्र हैं. ईरानी ने कहा कि अजमेरा रियल्टी और कीस्टोन रियलटर्स कमर्शियल प्रोजेक्ट्स में साझेदार हैं, जिसके तहत बांद्रा में एक बड़ा डेवलपमेंट किया जा रहा है.

वहीं समस्याओं की तरफ ध्यान दिलाते हुए ईरानी कहते हैं, 'बढ़ती कीमतों और ऊंचे सरकारी प्रीमियम के चलते मुनाफे पर दबाव बना हुआ है. हमें उम्मीद है कि कीमतों में स्थिरता लाने के लिए प्रीमियम में बदलाव किया जाएगा और स्टाम्प ड्यूटी को कम किया जाएगा.'

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