महाराष्ट्र में डेवलपर्स, घर खरीदारों का पैसा अलग-अलग बैंक अकाउंट में डिपॉजिट नहीं कर पाएंगे. अब MahaRERA ने डेवलपर्स को कुछ निश्चित बैंक अकाउंट्स में खरीदारों के पैसे रखने का निर्देश दिया है, इसके चलते हाउसिंग कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स में वित्तीय अनुशासन, नियमों का पालन, पारदर्शिता, जवाबदेही सुनिश्चित हो पाएगी.
इसके जरिए ऐसे घर खरीदारों को भी लाभ मिलेगा, जो बुकिंग रद्द करने की इच्छा रखते हैं. अब उन्हें अपने पैसे की वापसी के लिए दर-दर नहीं भटकना होगा.
MahaRERA ने डेवलपर्स को आदेशित किया है कि वे एक ही बैंक में 3 खाते मेंटेन करें. इसमें पहला RERA डेसिग्नेटेड कलेक्शन अकाउंट होगा. जिसमें घर खरीदारों से मिले पैसे को रखा जाएगा.
दूसरा खाता 'RERA डेसिग्नेटेड सेप्रेट अकाउंट' होगा, जिसमें प्रोजेक्ट की जमीन और निर्माण के लिए जुटाए गए पैसे के 70% हिस्से को रखा जाएगा. तीसरे खाता RERA डेसिग्नेटेड ट्रांजैक्शन अकाउंट होगा, जिसमें बचा हुआ 30% पैसा रखा जाएगा.
ये फैसले 1 जुलाई से लागू होंगे. ये नियम तमाम पक्षों के विचार, सुझाव, आपत्तियां सुनने और उनसे जानकारी लेने के बाद बनाए गए हैं.
इस मौके पर MahaRERA के चेयरमैन श्री अजॉय मेहता ने कहा, 'MahaRERA घर खरीदारों में विश्वास का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसके लिए उन्हें कानूनी तौर पर सक्षम बनाया जाएगा, ताकि उनके निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. नए नियमों का उद्देश्य वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता को निश्चित करना है.'
RERA डेसिग्नेटेड कलेक्शन अकाउंट और RERA डेसिग्नेटेड सेप्रेट अकाउंट को किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा अटैच किए जाने से कानूनी सुरक्षा मिली है.
कुल मिलाकर इन फैसलों से फ्लैट खरीदारों का विश्वास बढ़ेगा और रियल एस्टेट सेक्टर की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी. ग्राहक अनुभव को बेहतर करने के लिए MahaRERA की तरफ से उठाया गया ये एक और कदम होगा.
दरअसल अब तक डेवलपर्स पैसा लेकर अलग-अलग बैंक अकाउंट में जमा करते थे. जैसे बुकिंग अमाउंट किसी अलग बैंक खाते में जाएगी, जबकि अमेनिटीज और इंफ्रास्ट्रक्चर के और अन्य काम के लिए दूसरे खातों का उपयोग किया जाता था. अब नए नियमों के बाद ये चीज बंद हो जाएगी.
वहीं एक से ज्यादा प्रोमोटर वाले प्रोजेक्ट्स में RERA डेसिग्नेटेड मास्टर अकाउंट खोलने की भी सहूलियत होगी, जिसमें सभी घर खरीदारों से मिले पैसे को रखा जाएगा.
Real Estate (Regulation and Development) Act, 2016 के सेक्शन 4(2)(i)(D) में बैंक खातों से जुड़ा प्रावधान है. इसके जरिए पारदर्शिता, वित्तीय अनुशासन और लेनदेन पर बेहतर निगरानी सुनिश्चित की जाती है.
दरअसल अब जब पैसे लेने, खर्च और रिफंड के लिए अलग-अलग अकाउंट होंगे, तो डेवलपर्स पैसे की कमी का बहाना बनाकर बुकिंग अमाउंट वापस करने से नहीं बचेंगे.
बता दें फ्लैट की बुकिंग रद्द करने की दशा में कई मौकों पर खरीदारों को शिकायत दर्ज करने, सुनवाई में जाने, आदेश लेने या फिर रिकवरी वारंट इश्यू कराने के लिए डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को जरूरी दस्तावेज भेजने होते थे, जिसमें काफी वक्त लगता था. ये पूरी प्रक्रिया नई नियमों से बहुत छोटी हो जाएगी, क्योंकि डेवलपर के पास रिफंड करने और घर खरीदार को मुआवजा देने के लिए संबंधित फंड्स में पैसा उपलब्ध होगा. चूंकि अब बैंक डिटेल्स और फंड्स की जानकारी उपलब्ध होगा, ऐसे में MahaRERA के पास संबंधित अकाउंट से रिकवरी के निर्देश देने की सहूलियत होगी.
जैसा ऊपर बताया कि RERA Designated Collection Account और RERA Designated Separate Account को किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा अटैच किए जाने से सुरक्षा होगी. असल में बैंकों को निगरानी रखनी होगी कि इन अकाउंट्स पर किसी तीसरे पक्ष का कोई ड्यू ना चढ़ने पाए. अनाधिकारिक खातों में इन खातों से कलेक्शन और फंड डाइवर्जन की अनुमति नहीं होगी.
प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद RERA डेसिग्नेटेड बैंक अकाउंट में लेनदेन थम जाएगा. इन खातों का उपयोग नहीं किया जा सके, ये तभी हो सकेगा, जब MahaRERA प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा दे. डेवलपर MahaRERA का एप्रूवल लिए बिना बैंक अकाउंट में बदलाव नहीं कर पाएगा.