भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि सासन अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना को आवंटित तीन कोयला क्षेत्रों के अतिरिक्त कोयले का उपयोग करने के लिए रिलायंस पावर को अनुमति देने से उसे अनुचित लाभ हुआ है। लेकिन कम्पनी ने आरोप का खंडन किया और किसी भी गलती से इनकार किया।
पिछले कारोबारी साल के लिए अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट्स पर सीएजी की रिपोर्ट शुक्रवार को संसद में पेश की गई।
कोयला मंत्रालय ने रिलायंस पावर का अनुमति दी थी कि वह सासन परियोजना के तीन खदानों के अतिरिक्त कोयले का उपयोग मध्य प्रदेश की अपनी अन्य परियोजना के लिए करे। सीएजी के मुताबिक इससे बोली लगाने की प्रक्रिया खराब हुई थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि रिलायंस पावर को कुल 29,033 करोड़ रुपये वित्तीय लाभ हुआ, जिसका मूल्य अभी 11,852 करोड़ रुपये है।
रिलायंस पावर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेपी चलासानी ने रिपोर्ट का विरोध किया और कहा कि इसमें पहले की तरह कई खामियां हैं। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त कोयले का प्रवाह किसी और दिशा में नहीं किया गया, जैसा कि आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा, "कोयला क्षेत्र बोली लगाने की प्रक्रिया से पहले ही सासन को आवंटित किया जा चुका था।" उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि विकासकर्ता कौन था। मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने भी दो मौकों पर फैसले को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा, "हमने सरकारी लेखापरीक्षक को कम से कम दो बार प्रस्तुति दी थी।" उन्होंने कहा कि लेखापरीक्षक जिस तरह से निष्कर्ष पर पहुंचा है, उससे कई जगह पर सरकार भी सहमत नहीं हुई है।
रिलायंस पावर के प्रमुख ने यह भी कहा कि लेखा रिपोर्ट दो परियोजनाओं की तुलना कर निष्कर्ष पर पहुंचा है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि किसी भी दो बिजली परियोजनाओं की दर समान नहीं होती है।