मार्केट रेगुलेटर SEBI ने 14 जनवरी को अमेरिकी व्यवसायी डैनी गायकवाड़ की याचिका को खारिज कर दिया, इस याचिका में डैनी गायकवाड़ ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड में एक बड़ी हिस्सेदारी के लिए एक कंपटीटिव ओपन ऑफर करने की मांग की थी.
डैनी गायकवाड़ ने पेशकश में रेलिगेयर में 26% हिस्सेदारी के लिए डाबर ब्रांड के बर्मन परिवार द्वारा की गई 235 रुपये प्रति शेयर की पेशकश पर 17% प्रीमियम की बात की थी. इसके अलावा उन्होंने कंपनी में 55% हिस्सेदारी के लिए ऑफर रखा था.
SEBI ने डैनी गायकवाड़ की याचिका को खारिज कर तर्क दिया कि, 'ओपन ऑफर की मंजूरी देना शेयरहोल्डर्स के हित में नहीं होगा, और इससे निवेशकों का विश्वास कम होगा.
हालाँकि, जब गायकवाड़ का प्रस्ताव सामने आया तो बर्मन परिवार ने भी इसपर मीडिया में एक बयान जारी कर अपनी प्रतिक्रिया दी. बयान में कहा गया कि, उनकी पेशकश औपचारिक नहीं है क्योंकि उन्होंने ऐसा करने में सक्षम होने के लिए केवल SEBI से मंजूरी मांगी है. प्रस्ताव देने में पहले ही देर हो चुकी है'.
बर्मन परिवार का ओपन ऑफर 13 फरवरी को ही समाप्त हो गया था, इसमें कुल ऑफर की सिर्फ 0.26% ही बोलियां लगाई जा सकीं.
28 जनवरी को SEBI ने डैनी गायकवाड़ का वो पत्र लौटा दिया जिसमें उन्होंने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड के इक्विटी शेयरों के लिए प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश करने की मंजूरी मांगी थी. मार्केट रेगुलेटर पाया कि पत्र सुरक्षा कानून के नियमों के तहत नहीं था.
हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने कई तरह के विवादों के दौरान गायकवाड़ ने अपने प्रतिस्पर्धी प्रस्ताव की मंजूरी पाने के लिए SEBI और RBI के सामने एक और अपील की है. सुप्रीम कोर्ट ने SEBI से इस पर जल्द ही कोई फैसला लेने के लिए कहा है.
SEBI के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया के ओर से 10 पन्नों के आदेश में कहा गया कि, 'प्रतिस्पर्धी ओपन ऑफर के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों के पर्याप्त सबूत के अभाव में डैनी गायकवाड़ की ओर से किया गया आवेदन ठोस नहीं लगता, ये गंभीर नहीं है और ये याचिका सिर्फ ओपर ऑफर प्रक्रिया में बाधा डालने के मकसद से की गई है.