सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को सहारा समूह की रियल एस्टेट और वित्तीय कंपनियों को उसकी भद्रता और उदारता का अनुचित लाभ उठाने के लिए फटकार लगाई।
अदालत ने दोनों कंपनियों को आदेश दिया कि वे अपने दावे से संबंधित मांगे गए सभी विवरण बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को मुहैया कराएं। कंपनियों ने दावा किया है कि उन्होंने निवेशकों से लिए गए 24 हजार करोड़ रुपये में से 90 फीसदी वापस कर दिए हैं।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने कहा, "हम अब तक काफी भद्र रहे हैं। हम काफी उदार रहे हैं। लेकिन आपको यह पसंद नहीं। ऐसी स्थिति में हमें आपको छड़ी दिखानी होगी।"
अदालत ने कहा कि कंपनियों ने सेबी द्वारा मांगे गए कोई भी विवरण तब तक नहीं दिए, जब तक अदालत ने भी उन्हें ऐसा आदेश नहीं दिया।
अदालत ने कंपनियों को यह फटकार इसलिए लगाई, क्योंकि सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) ने उस राशि का स्रोत बताने से इंकार कर दिया था, जिसका उपयोग उसने 'वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर' (ओएफसीडी) से हासिल धन को वापस करने के लिए किया था।