शेयर बजारों में निवेशकों की निगाह आगामी सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नीति समीक्षा पर टिकी रहेगी। आरबीआई सोमवार 17 जून 2013 को मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा।
आरबीआई ने 3 मई को मौद्रिक समीक्षा घोषण में रेपो दर को 25 आधार अंक घटाकर 7.25 फीसदी कर दिया था, जबकि नकद आरक्षी अनुपात को चार फीसदी पर ज्यों का त्यों छोड़ दिया था।
आरबीआई ने तब कहा था कि विकास दर और महंगाई दर के सम्बंधों के बीच संतुलन बिठाने की कोशिशों के तहत नीति में और अधिक सरलता लाने की कम ही गुंजाइश है।
आरबीआई ने कहा था कि वह अपने वित्तीय उपकरणों से मार्च 2014 तक महंगाई दर को पांच फीसदी के दायरे में लाने की कोशिश करेगा।
आगामी सप्ताह रुपये के मूल्य में उतार-चढ़ाव का शेयर बाजार पर महत्वपूर्ण असर होगा। पिछले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी के कारण शेयर बाजार की स्थिति डंवाडोल रही है। रुपये की कमजोरी से आयात महंगा हो जाता है, जिसके कारण महंगाई बढ़ती है और इससे आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में कटौती की सम्भावना धूमिल हो जाती है।
निवेशक अगले सप्ताह पहली तिमाही के अग्रिम कर भुगतान पर भी नजर रखेंगे, जिसकी समय सीमा 15 जून 2013 है। अग्रिम कर भुगतान से पहली तिमाही में कम्पनियों की आय का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी।
अग्रिम कर की वसूली चार किश्तों में (15 जून तक 15 फीसदी, 15 सितम्बर तक 40 फीसदी, 15 दिसम्बर तक 75 फीसदी और 15 मार्च तक 100 फीसदी) होती है।
आने वाले कुछ महीनों में बाजार में शेयरों की व्यापक आपूर्ति के कारण शेयर बाजारों के सूचकांकों के ऊपर की ओर बढ़ने की उम्मीद कम है। शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के दिशा-निर्देश के मुताबिक सूचीबद्ध निजी कम्पनियों में प्रमोटर की हिस्सेदारी घटानी होगी और आम निवेशकों को कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी देनी होगी। इसी तरह सरकारी सूचीबद्ध कम्पनियों में आम निवेशकों को कम से कम 10 फीसदी हिस्सेदारी देनी होगी।
सेबी के आदेश के मुताबिक निजी कम्पनियों के संस्थापकों को 30 जून 2013 तक अपनी हिस्सेदारी घटानी होगी, जबकि सरकारी कम्पनियों को 31 अगस्त तक सेबी के आदेश पालन करना होगा।
वर्ष 2014 में सरकारी कम्पनियों के विनिवेश के सरकारी लक्ष्य से भी शेयरों की बिकवाली को हवा मिलेगी। सरकार ने सार्वजनिक कम्पनियों में अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से वर्तमान कारोबारी वर्ष में 40 हजार करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने निजी कम्पनियों में भी अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
लोकसभा चुनाव से जुड़ी खबरों के चलते अगले साल मई तक शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने के आसार हैं। माना जा रहा है कि अगली सरकार कई पार्टियों की मिली जुली हो सकती है। सुधार की प्रक्रिया के अवरुद्ध होने की आशंका है। इसका असर वित्तीय घाटा प्रबंधन पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है। और वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग घटा सकती हैं।
बाजार में इस वक्त काफी गिरावट चल रहा है इसे देखते हुए निवेशक बॉटम अप की रणनीति अपना सकते हैं। यानी वे सस्ते शेयर खरीद सकते हैं। छोटे निवेशकों को इस दौरान सेक्टर कॉल लेने के बजाय खास-खास शेयरों पर ध्यान देना चाहिए।