बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगाने से जुड़े यूपी अपार्टमेंट एक्ट 2010 पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में 14 नवंबर 2013 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।
यूपी अपार्टमेंट एक्ट के तहत बिल्डर को फ्लैट बेचने से पहले ग्राहकों को कई जानकारियां स्पष्ट करनी होंगी। बिल्डर अगर इन शर्तों को पूरा करने में नाकाम रहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। यूपी अपार्टमेंट एक्ट को लागू करने में कई बिल्डर अब तक टालमटोल करते रहे हैं। इस मामले में डेवलपमेंट अथॉरिटीज का ढीला-ढाला और सुस्त रवैया भी फ्लैट खरीददारों के हक के आड़े आता रहा है, लेकिन आज के फैसले से अब सभी डेवलपमेंट अथॉरिटी को इस मसले को गंभीरता से लेना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आज गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी से एक मामले में सफाई भी मांगी है। कोर्ट ने जीडीए से पूछा है कि क्या ग्रुप हाउसिंग के तहत ग्राहकों को दिए गए फ्लैट के साथ−साथ उनका जमीन पर भी मालिकाना हक होता है या नहीं। जीडीए को 4 अप्रैल 2014 तक जवाब देना है।