कोल इंडिया के कर्मचारियों की हड़ताल का आज दूसरा दिन था। शाम को सरकार से बातचीत के बाद कर्मचारी नेताओं ने हड़ताल समाप्ति की घोषणा की। ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कर्मचारी नेताओं से बातचीत की और बताया कि सरकार एक समिति का गठन करेगी जो कर्मचारियों की समस्याओं पर गौर करेगी और सरकार को अपनी सिफारिशें देगी।
कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार की निजीकरण की कोई योजना नहीं, कोल इंडिया के कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी
मंगलवार दिन में सरकार और कर्मचारियों के बीच हुई बातचीत टूट गई थी। कर्मचारी यूनियन के मुताबिक, सरकार संकट का हल निकालने की दिशा में काम नहीं कर रही थी।
दरअसल, कल हुई बातचीत में सरकार की ओर से कोयला मंत्री शामिल नहीं हुए, लेकिन कोयला सचिव बातचीत में शामिल हुए थे, हालांकि दोनों पक्षों ने उम्मीद जताई है कि बातचीत जारी रहेगी।
कोल इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है और इसके लाखों कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से देश में बिजली संकट भी गहरा सकता है। देश के बिजली उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा कोयले पर निर्भर करता है।
इंटक नेता एस क्यू ज़मां ने कहा, हमारा विरोध कोल इंडिया के पब्लिक सेक्टर कैरेक्टर को बदलने के लिए अध्यादेश लाने की सरकार की पहल के खिलाफ है।
हड़़ताल के पहले ही दिन इसका असर झारखंड की 100 से अधिक कोयला खदानों पर दिखा। छत्तीसगढ़ में 66 कोयला खदान बंद रहीं और महाराष्ट्र की 36 कोयला खदानों में काम ठप रहा।
इस हड़ताल का दायरा कितना बड़ा है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोल इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है। कोल इंडिया भारत में 81% कोयला उत्पादन करती है, और उसका भारत के कोयला बाज़ार पर 74% कब्ज़ा है। कंपनी कोयला से चलने वाले 86 थर्मल प्लांटों में 82 को कोयला सप्लाई करती है। उसके पास हर दिन औसतन क़रीब 15 लाख टन कोयला उत्पादन की क्षमता है यानी 5 दिन की हड़ताल चली तो 75 लाख टन कोयला का उत्पादन कम हो जाएगा।
संकट की वजह से सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है, लेकिन कोयला मंत्री पूरे दिन कुछ भी खुलकर बोलने से बचते दिखे।
(इनपुट्स भाषा से भी)