टाटा ग्रुप ने कर्ज में डूबी हुई एयर इंडिया में हिस्सेदारी खऱीदने में दिलचस्पी दिखाई है, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह रिपोर्ट दी है. एयर इंडिया अभी सरकार से मिले पैकेज के बल पर चल रही है. लंबे समय से यह एयरलाइन घाटे में चल रही है और इसको लेकर कई सुझाव आ रहे हैं. नीति आयोग ने तो एयरलाइन के पूर्ण निजीकरण का सुझाव दिया है. हालांकि, नागर विमानन मंत्रालय ने इस राष्ट्रीय एयरलाइन के निजीकरण के प्रस्ताव पर चिंता जताई है. सरकार इसे फिर से बेहतर स्थिति में लाने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रही है.
सरकार की ओर से टाटा ग्रुप के हिस्सेदारी लेने को लेकर कुछ नहीं कहा गया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय एयर इंडिया को अपने पास ही रखने के पक्ष में है. टाटा ग्रुप के स्पोक्सपर्सन ने एक ईमेल के जवाब में कहा- हम ऐसे मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करते.
इस पूरे घटनाक्रम का एक परिदृश्य बनता है कि 51 फीसदी स्टेक सरकार अपने पास रखे और 49 फीसदी निजी कंपनियों को बेच दिया जाए जिसमें विदेशी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं. एक अन्य विकल्प यह भी है कि एयर इंडिया में अल्पांश हिस्सेदारी की बिकरी की जाए और उसके बाद एयरलाइन के कर्ज की समस्या से निपटा जाए. इसके लिए एयरलाइन की परिसंपत्तियों को बेचा जा सकता है.
टाटा ग्रुप के लिए यह एक प्रकार की 'घर वापसी' है. 1932 में टाटा एयरलाइन्स के नाम से शुरू की गई इस विमानन कंपनी का बाद में राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था. वर्तमान में इस कंपनी पर 52 हजार करोड़ का कर्ज है. बता दें टाटा विस्तारा और एयर एशिया इंडिया, दोनों के साथ संयुक्त उपक्रम में पहले से ही इस क्षेत्र में है.