सरकार ने वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) की AGR (Adjusted Gross Revenue) बकाया पर नई राहत की याचिका को ठुकरा दिया है. कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया ने कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की थी. जिस पर आज सुनवाई होनी है.
दूरसंचार विभाग ने 29 अप्रैल को लिखे पत्र में कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2020 के फैसले की वजह से AGR देनदारियों पर और रियायतों के अनुरोध पर 'विचार नहीं किया जा सकता'. मंत्रालय ने बताया कि वोडाफोन आइडिया ने पहले ही आंशिक मदद मांगी थी और उसे तब मिला था जब सरकार ने 36,950 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम से जुड़े बकाया को इक्विटी में बदल दिया था, जिससे कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी बढ़कर 49% हो गई थी.
ये फैसला सितंबर 2021 के टेलीकॉम सेक्टर रिफॉर्म्स पैकेज के तहत लिया गया, जिसका मकसद वित्तीय संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनियों को राहत देना था. इस प्रक्रिया में, वोडाफोन आइडिया ने सरकार को 3,695 करोड़ इक्विटी शेयर जारी किए, जिनकी फेस वैल्यू 10 रुपये प्रति शेयर थी. इससे पहले सरकार की हिस्सेदारी 22.6% थी, जो अब बढ़कर 49% हो गई.
वोडाफोन आइडिया ने इस महीने की शुरुआत में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें AGR बकाया के बारे में 45,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राहत मांगी गई थी. मामले की सुनवाई आज होगी.
ये AGR की परिभाषा और कैलकुलेशन पर लंबे समय से चल रहे विवाद में एक नया चैप्टर है, जिसकी शुरुआत 2019 के फैसले से हुई थी. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए बकाया चुकाने के लिए 10 साल की समयसीमा तय की थी. टेलीकॉम मंत्रालय (DoT) ने पहले कोर्ट से रीपेमेंट की अवधि को 20 साल तक बढ़ाने की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था.
बाद में टेलीकॉम कंपनियों ने अंकगणितीय गलतियों का हवाला देते हुए कैलकुलेशन को ही चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन दावों को खारिज कर दिया. वोडाफोन आइडिया ने जुलाई 2024 में क्यूरेटिव याचिका दायर की, जिसे सितंबर 2024 में खारिज कर दिया गया.