अपने घर की स्लो वाई-फाई स्पीड से परेशान हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है. सरकार कुछ ऐसा करने जा रही है जिससे आपकी ये परेशानी बहुत जल्द दूर हो जाएगी. सरकार ने 6 GHz स्पेक्ट्रम बैंड के निचले हिस्से को लाइसेंस मुक्त करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे 500 MHz एयरवेव्स उपलब्ध हो सकेंगी. टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने एक ड्राफ्ट रूल तैयार किया है. जिस पर लोगों की टिप्पणियां मंगाई गई हैं.
इस ड्राफ्ट में 6 GHz के लोअर बैंड 5925–6425 MHz को वाई-फाई इस्तेमाल के लिए लाइसेंस मुक्त करने का प्रस्ताव दिया गया है. 6 GHz, जो कि मिड बैंड है, इसमें 1,200 MHz स्पेक्ट्रम शामिल है, जो 5,925 से 7,125 MHz तक है. DoT ने पहले बैंड के बैंड ऊपरी हिस्से (6,425-7,125 MHz) को 4G और 5G के लिए तय किया था. अब निचले हिस्से 5,925- 6,425 MHz को WiFi के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस मुक्त कर दिया है. यानी अब ये फ्रीक्वेंसी वाई-फाई के लिए फ्री में इस्तेमाल हो सकेगी.
टेलीकॉम डिपार्टमेंट की ओर से नोटिफाई किए गए ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक 5,925-6,425 MHz फ्रीक्वेंसी बैंड में चलने वाले रेडियो लोकल एरिया नेटवर्क सहित, कम पावर वाले इनडोर और बहुत कम पावर वाले आउटडोर वायरलेस एक्सेस सिस्टम के लिए किसी भी वायरलेस इक्विपमेंट को लगाने, रखरखाव करने या उसमें डील करने के लिए किसी प्राधिकरण या फ्रीक्सवेंसी असाइनमेंट की जरूरत नहीं होगी.
6 GHz बैंड के जरिए कंज्यूमर्स को जो डेटा स्पीड मिलेगी वो 9.6 Gbps तक होगी, जबकि 5 GHz में 1.3 Gbps में मिलती है और 2.4 GHz बैंड में 600 Mbps की स्पीड मिलती है. अभी भारत में वाई-फाई सर्विसेज के लिए 2.4 GHz और 5 GHz बैंड का ही इस्तेमाल किया जाता है. ये दोनों ही बैंड काफी ज्यादा भीड़ भाड़ से भरे हैं, इनमें डेटा की स्पीड भी काफी सीमित होती है, खासतौर पर जब आप ऑनलाइन गेम्स, असिस्टेंट रिएलिटी और वर्चुअल रिएलिटी जैसे डेटा हैवी एप्लीकेशंस का इस्तेमाल करते हैं. जब यही चीज 6 GHz पर होगी, तो स्पीड 9.6 Gbps तक मिलेगी, जिससे ये सभी डेटा हैवी ऐप्स बड़ी आसानी से चल सकेंगे.
लाइसेंस फ्री करने या ऑक्शन के बिना ही एयरवेव्स का आवंटन करने से भारत में WiFi 6E और 7 जैसी नेक्स्ट जेनरेशन की टेक्नोलॉजी के लिए रास्ता पुख्ता हो सकेगा. WiFi 6E एक अपग्रेड है WiFi 6 का, जो 6 GHz बैंड का इस्तेमाल कर सकेगा. जिससे स्पीड काफी तेज होगी और कंजेशन भी नहीं होगा. Wi-Fi 7 एक नेक्स्ट जेन वाई-फाई है जिसमें इंटरनेट की रफ्तार इतनी तेज होगी कि फ्यूचर ऐप जैसे कि AR, VR, 4K स्ट्रीमिंग और स्मार्ट होम जैसे फीचर आसानी से काम कर सकेंगे.
हालांकि इनका इस्तेमाल गाड़ियों, कम ऊंचाई के एयरक्राफ्ट, नाव और तेल के प्लेटफॉर्म्स पर नहीं किया जा सकेगा. इस बैंड का इस्तेमाल ड्रोन उड़ाने में भी नहीं किया जा सकेगा. इस ड्राफ्ट को लेकर लोगों से 15 जून 2025 तक टिप्पणियां मंगाई गईं हैं.