टेलीकॉम बिल 2023 (Telecommunication bill-2023), घरेलू टेलीकॉम कंपनियों को थोड़ा झटका दे सकता है, क्योंकि इस बिल में नीलामी के बिना ही सैलेटलाइट कम्यूनिकेशन के लिए स्पेक्ट्रम देने की बात कही गई है, जबकि जियो समेत कई घरेलू टेलीकॉम कंपनियों ने इस बात पर आपत्ति जताई थी. बिल में इस प्रस्ताव से विदेशी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए भारत में काम करने का रास्ता खुल जाएगा, खासतौर पर एलन मस्क की 'स्टारलिंक' के लिए, जो भारत में अपनी सर्विसेज शुरू करने की इच्छा जता चुके हैं.
केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने टेलीकम्यूनिकेशन बिल 2023 को सोमवार को लोकसभा में पेश कर दिया, जिसमें उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि सैटेलाइट कम्यूनिकेशंस के लिए कंपनियों को स्पेक्ट्रम नीलामी के जरिए देने की बजाय एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके (administrative method) से दिया जाएगा.
अब ये प्रस्ताव घरेलू टेलीकॉम कंपनियों जैसे- रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया को भले ही झटका दे, लेकिन ग्लोबल सैटेलाइट सर्विस प्रावाइ़डर्स के लिए अच्छी खबर है, एलन मस्क की स्टारलिंक उन्हीं ग्लोबल कंपनियों में शुमार है, जो इसी बात की मांग कर रहे थे. जून में न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद, मस्क ने कहा था कि वो भारत में स्टारलिंक लॉन्च करना चाहते हैं, जो दूर-दराज के गांवों में इंटरनेट की सुविधा पहुंचाने में मददगार साबित हो सकता है, जहां जमीनी स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर खराब है.
जियो का कहना है कि सैलेटलाइट स्पेक्ट्रम का ऑक्शन ही सही तरीका है, जैसा कि 5G के लिए किया गया था. रिलायंस का कहना था कि विदेशी सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर्स वॉयस और डेटा सर्विसेज देंगे, जिनका मुकाबला भारतीय टेलीकॉम कंपनियों से होगा, इसलिए स्पेक्ट्रम की नीलामी से एक बराबर जमीन सभी खिलाड़ियों को मिलनी चाहिए.
इस मुद्दे पर टेलीकॉम रेगुलेटर TRAI की सलाह के लिए कई कंपनियों ने अपनी राय दी थी, जिनके आधार पर ब्रोकरेज CLSA ने कहा कि स्टारलिंक, अमेजॉन के कुइपर (Amazon's Kuiper), टाटा ग्रुप, भारती एयरटेल की वनवेब और लार्सन एंड टुब्रो स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया के खिलाफ थे.
बिल के मुताबिक, स्पेक्ट्रम नीलामी के जरिए आवंटित किए जाएंगे, लेकिन कुछ खास इस्तेमाल को छोड़कर, जहां इसे एडमिनिस्ट्रेटिव आधार पर बांटा जाएगा.
जिन्हें बाहर रखा गया उनमें क्या क्या शामिल है
राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा
आपदा प्रबंधन
मौसम की भविष्यवाणी
ट्रांसपोर्ट
सैटेलाइट सर्विसेज जैसे DTH और सैटेलाइट टेलीफोनी
BSNL, MTNL, और पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज
बिल में कहा गया है कि केंद्र सरकार किसी भी फ़्रीक्वेंसी रेंज का दोबारा निर्धारण कर सकती है, उसके उद्देश्य को दोबारा तय कर सकती है, और स्पेक्ट्रम को साझा करने, व्यापार करने, पट्टे पर देने और सरेंडर करने की इजाजत दे सकती है.
इस बिल को कैबिनेट ने इसी साल अगस्त के शुरुआती हफ्ते में ही पास कर दिया था. हालांकि वो उस समय संसद में पेश नहीं कर पाई थी. टेलीकम्यूनिकेशन बिल 2023, 138 साल पुराने इंडियन टेलीग्राफ एक्ट की जगह लेगा, जो अभी टेलीकॉम सेक्टर पर लागू है.