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TRAI Order On Telemarketers: स्पैम-कॉल मैसेज से छुटकारे के साथ जरूरी सर्विसेज पर भी पड़ेगा असर; 1 सितंबर से क्या बदलेगा?

TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों को अनरजिस्टर्ड टेलीमार्केटर्स से सभी वॉइस प्रोमोशन को बंद करने का निर्देश दिया था.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:19 PM IST, 26 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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अगले महीने से लोगों को गैरजरूरी कॉल और मैसेज से बहुत हद तक छुटकारा मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है. TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों को अनरजिस्टर्ड टेलीमार्केटर्स से सभी वॉइस प्रोमोशन को बंद करने का निर्देश दिया था. ये आदेश 1 सिंतबर से लागू हो जाएगा.

इस आदेश के तहत टेलीकॉम कंपनियों को URLs, OTT लिंक्स, कॉल बैक नंबर्स, APK फाइल्स वाले मैसेज को भी रोकना होगा. समझते हैं कि 1 सितंबर से क्या बदल सकता है.

व्हाइट लिस्टिंग नहीं हुई तो रुक जाएंगी सर्विसेज

  • इस आदेश के बाद कई सर्विसेज पर भी फौरी असर पड़ने की संभावना है. इनमें बैंक, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और ई-कॉमर्स कंपनियों की सर्विसेज शामिल हैं.

  • इन सर्विसेज के रुकने से बैंक अकाउंट अपडेट्स (क्रेडिट-डेबिट समेत अन्य) जैसी जरूरी सेवाएं भी रुकने की आशंका है.

  • मतलब अगर ये संस्थान 1 सितंबर के पहले अपने मार्केटिंग नंबर्स को व्हाइट लिस्ट नहीं करवाते हैं, तो इनकी सर्विसेज रुक जाएंगी. व्हाइट लिस्ट करवाने का मतलब अपने नंबर्स का रजिस्ट्रेशन करवाना है.

इससे पहले NDTV Profit से बात करते हुए एक बैंकर ने बताया था कि बैंक और अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस फिलहाल एक डेडीकेटेड नंबर सीरीज पर बात कर रहे हैं, जो एक्सक्लूसिव उन्हीं के लिए होगी, जिसके जरिए वे इस बैन से बचकर जरूरी मैसेज भेज पाएंगे.

लेकिन फिलहाल इस बारे में कोई ठोस ऐलान नहीं हुआ है.

मैसेज कंटेंट मॉनिटर सिस्टम

दरअसल अब तक वे एंटिटीज (टेलीमार्केटर्स) यूजर्स को मैसेज भेज सकती थीं, जिनका रजिस्ट्रेशन टेलीकॉम कंपनियों के पास है. लेकिन मैसेज के कंटेंट को मॉनिटर करने का कोई सिस्टम नहीं था.

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब अगले महीने से टेलीकॉम ऑपरेटर्स को ऐसा सिस्टम बनाना होगा, जिसमें व्यावसायिक मैसेज के कंटेंट को मॉनिटर किया जा सके और स्टैंडर्ड के मुताबिक ना होने पर उन्हें आगे ना बढ़ाया जाए.

फिशिंग से भी मिलेगी निजात!

जैसा TRAI का सोचना है, इस व्यवस्था के आने से फिशिंग पर भी रोक लगेगी. पिछले दिनों ही TRAI के नाम पर भी धोखेबाजों ने फिशिंग करना शुरू कर दिया था.

फिशिंग के तहत किसी वैध सोर्स (सरकारी-प्राइवेट एजेंसी, परिचित आदि) की पहचान से यूजर्स से संवेदनशील जानकारी (पासवर्ड, OTP आदि) हासिल करने की कोशिश की जाती है.

जैसा ऊपर बताया कंटेंट मॉनिटर सिस्टम आने से ऐसी कॉल-मैसेज से बहुत हद तक निजात मिल जाएगी और कई सारे लोग वित्तीय नुकसान और मानसिक तनाव से बच पाएंगे.

15 दिन के भीतर 'कोड ऑफ प्रैक्टिस' अपडेट करना जरूरी

इस नोटिफिकेशन में 15 दिन के भीतर सर्विस प्रोवाइडर्स से कोड ऑफ प्रैक्टिस को अपडेट करने के लिए भी कहा गया है. साथ ही 45 दिन के भीतर कंप्लायंस रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया गया है.

TRAI ने इस निर्देश का पालन करवाने के लिए कड़ी पेनल्टी की व्यवस्था भी की है. अगर टेलीमार्केटर्स इस तरह की कॉल करते पाए जाते हैं, तो उनकी सर्विसेज पर 2 साल तक का बैन लगाया जा सकता है.

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