वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) को ग्लोबल टेलीकॉम इक्विपमेंट सप्लायर्स नोकिया (Nokia), एरिक्सन (Ericsson) और सैमसंग (Samsung) के साथ $3.6 बिलियन यानी करीब 30,000 करोड़ रुपये का समझौता किया है. 22 सितंबर की एक्सचेंज फाइलिंग से ये जानकारी मिली है. इस डील की मदद से वोडाफोन आइडिया को अपने नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी.
ये कंपनी के तीन साल के कैपेक्स प्लान का हिस्सा है, जिसकी वैल्यू $6.6 बिलियन या करीब 55,000 करोड़ रुपये है.
इस समझौते का मकसद कंपनी की 4G कवरेज को 1.03 बिलियन से बढ़ाकर 1.2 बिलियन पर पहुंचाना और मुख्य बाजारों में 5G सेवाएं लॉन्च करना है, जिससे डेटा की बढ़ती डिमांड को पूरा किया जा सके. जहां नोकिया और एरिक्सन, वोडाफोन आइडिया की लंबे समय से सहयोगी हैं. वहीं सैमसंग इस कड़ी में नई है.
वोडाफोन आइडिया के CEO अक्षय मुंद्रा ने कहा कि इस समझौते से हम अपने ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकेंगे. जैसे हम VIL 2.0 के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं हम स्मार्ट टर्नअराउंड का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं और ग्रोथ के अवसरों पर कैपेटलाइज करने के लिए तैयार हैं.
नए इक्विपमेंट से ऊर्जा के बेहतर इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा जिससे ऑपरेटिंग लागत घटेगी. अगली तिमाही में शुरुआत होगी. 4G कवरेज का विस्तार शीर्ष प्राथमिकता रहेगी.
हाल ही में 24,000 करोड़ रुपये की इक्विटी जुटाने और जून 2024 नीलामी के दौरान 3,500 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम खरीदने के बाद VIL ने पहले ही कुछ कैपेक्स प्रोजेक्ट्स लागू कर दिए हैं. इन कदमों जैसे मौजूदा साइट्स में ज्यादा स्पेक्ट्रम जोड़ने से कंपनी की कैपेसिटी 15% बढ़ी है. इससे सितंबर 2024 के आखिर तक कवरेज अतिरिक्त 16 मिलियन यूजर्स तक पहुंच गई है.
अपने लंबी अवधि के कैपेक्स प्लान्स के लिए कंपनी मौजूदा और नए लेंडर्स के साथ चर्चा कर रही है जिससे फंडेड फैसिलिटीज में 25,000 करोड़ और नॉन-फंड बेस्ड फैसिलिटीज में 10,000 करोड़ रुपये हासिल किए जा सकें. हाल ही में कंपनी के लंबी अवधि के अनुमानों का टेक्नो-इकोनॉमिक विश्लेषण किया गया है.
इसे स्वतंत्र थर्ड पार्टी ने किया है. रिपोर्ट को बैंकों और वित्तीय संस्थानों को सब्मिट कर दिया गया है. अब बैंक इस रिपोर्ट के आधार पर आंतरिक आकलन और मंजूरी की प्रक्रिया के साथ बढ़ रहे हैं. कंपनी को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है. शीर्ष अदालत ने उस क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है, AGR की कैलकुलेशन दोबारा करने की मांग की गई थी.