क्या वोडाफोन आइडिया अब बैंकरप्ट या दिवालिया होने वाली है. जिस तरह की वित्तीय स्थिति इस टेलीकॉम कंपनी की है, उसे देखकर तो ऐसा ही लगता है कि खतरे की घंटी बज चुकी है.
कैपिटलमाइंड के CEO और पोर्टफोलियो मैनेजर दीपक शेनॉय मानते हैं कि वोडाफोन आइडिया के ऊपर बढ़त कर्ज और पर्याप्त मात्रा में कैश फ्लो नहीं जेनरेट होने की वजह से कंपनी का आउटलुक खराब होता जा रहा है, और ऐसा लगता है कि ये दिवालियापन की ओर बढ़ रही है.
दीपक शेनॉय का ये कमेंट गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के AGR मामले पर दिए गए फैसले के बाद आया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की उस याचिका को ठुकरा दिया है, जिसमें AGR की दोबारा कैलकुलेशन करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सबसे बड़ा झटका वोडाफोन आइडिया को ही लगा क्योंकि 92,000 करोड़ रुपये की देनदारी में 70,300 करोड़ रुपये की देनदारी वोडा-आइडिया की है, जो कि उसके कुल कर्जों का 33% हिस्सा है.
एक X पोस्ट में दीपक शेनॉय लिखते हैं कि कंपनी के पास किसी भी वक्त अचानक से पैसा खत्म हो जाएगा, ये डर AGR मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बाकी टेलीकॉम कंपनियों के बीच वोडाफोन की सबसे खराब स्थिति को देखने को बाद पैदा हुआ है. वो आगे लिखते हैं कि टेलीकॉम ऑपरेटर के पास आगे कैश फ्लो का गंभीर संकट है, जिसमें अक्टूबर 2025 और मार्च 2026 के दौरान 30,000 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है, इसके बाद अगले पांच वर्षों में 43,000 करोड़ रुपये का सालाना भुगतान भी करना है.
शेनॉय इस बात की भी संभावना जताते हैं कि जैसी स्थिति वोडाफोन आइडिया की है, ऐसे में कोई चौथा खिलाड़ी बाजार में एंट्री मार सकता है वोडा-आइडिया की मुश्किलों का फायदा उठा सकता है. वो लिखते हैं कि ये बहुत दुखत है, लेकिन जब ये कंपनी कैश फ्लो को लेकर बहुत ही कमजोर है, तब अगर कोई चौथा खिलाड़ी सामने आता है तो ये एक जबरदस्त डील होगी. ये काफी आसानी से उसके टुकड़े टुकड़े कर सकता है, उन्होंने कहा, जब तक कि वोडाफोन आइडिया कोई चमत्कार न करे, आने वाले वर्षों में इसके बचे रहने की उम्मीद असंभव लगती है.
जहां तक FPO के जरिए पैसे जुटाकर हालात संभालने की बात है, इस पर शेनॉय कहते हैं कि कंपनी की ये कोशिश नाकाफी साबित होगी. ऐसा हो सकता है कि कंपनी के कुछ कर्जों को इक्विटी में बदला जा सकता है, लेकिन अगले साल जितने बड़े बड़े पेमेंट बकाया हैं, उनको पूरा करने की गुंजाइश बहुत कम है.