मंगलवार को मुम्बई की स्पेशल PMLA (प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट ने विजय माल्या को भगोड़ा घोषित कर दिया। आईडीबीआई बैंक के 900 करोड़ रुपये के लोन घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट में विजय माल्या को भगोड़ा घोषित करने की अर्ज़ी दी थी।
प्रवर्तन निदेशालय के वक़ील एडवोकेट हितेन वेनेगाउंकर ने कोर्ट को बताया, "कोर्ट द्वारा अप्रैल में जारी किया गया गैर ज़मानती वारंट माल्या को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत भगोड़ा घोषित करने के लिए काफ़ी है।"
प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने कहा, "कोर्ट द्वारा गैर ज़मानती वारंट जारी किये जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के तरफ़ से वारंट पर अमल करने के लिए माल्या के घर और बेंगलुरु वाले ऑफिस की तलाशी ली गयी लेकिन वो वहां नहीं थे। उनके खुद के चीफ फिनांस ऑफिसर ने भी इस बात को कुबूल किया है कि माल्या विदेश में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स भी बताती हैं कि विजय माल्या को पता है कि उनके खिलाफ़ गैर ज़मानती वारंट है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि विजय माल्या फरार हैं।"
विजय माल्या को भगोड़ा घोषित किये जाने के बाद अगर 30 दिनों में माल्या भारत नहीं लौटते तो प्रवर्तन निदेशालय का अगला कदम होगा सीबीआई के ज़रिये इंटरपोल से संपर्क साधना और माल्या के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाना। कोर्ट का यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि इन सूरतों में माल्या पर भारत लौटने का दबाव कई गुना बढ़ जायेगा।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को मुंबई की एक विशेष पीएमएलए अदालत का रुख कर शराब कारोबारी विजय माल्या को भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी। एक कथित बैंक कर्ज फर्जीवाड़े के मामले में माल्या के खिलाफ की जा रही धनशोधन की जांच के सिलसिले में ईडी ने उन्हें भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी।