आने वाले दिनों में महंगाई कम होने की उम्मीद लगाए बैठी जनता को प्रधानमंत्री के इस कथन से झटका लग सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस साल कमजोर मॉनसून की वजह से मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।
मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, ...हमें मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना होगा, लेकिन इसमें कुछ समस्या आ सकती है, क्योंकि इस साल मॉनसून खराब रहा है। उन्होंने हालांकि, यह भी कहा कि सरकार के पास गेहूं और चावल का पर्याप्त भंडार है, खाद्यान्न आपूर्ति में कोई समस्या नहीं होगी।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर 6.87 प्रतिशत रह गई है। एक महीना पहले जून में यह 7.25 प्रतिशत थी, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति का जहां तक सवाल है, तो यह अब भी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। खाद्य पदार्थों के दाम अब भी ऊंचे हैं, जिससे आम आदमी का बजट प्रभावित हो रहा है। सालाना आधार पर सब्जियों के दाम 24 प्रतिशत ऊंचे हैं, तो अंडा, मीट और मछली के दाम 16 प्रतिशत बढ़े हैं। दालों के दाम पिछले साल के मुकाबले 28.26 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कमजोर मॉनसून से निपटने के लिए सरकार ने उपाय किए हैं। हमारा प्रयास है कि देश के किसी भी कोने में लोगों को बीज, चारा और पानी की कोई कमी नहीं हो। यह अच्छी बात है कि हमारे पास खाद्यान्न का बड़ा भंडार है...खाद्यान्न की उपलब्धता कोई समस्या नहीं है।
उन्होंने कहा, ...हमने स्थिति से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। जिन जिलों में मॉनसून की बारिश सामान्य से 50 प्रतिशत तक कम रही है, अथवा इससे ज्यादा कम रही है, उन जिलों में किसानों को डीजल पर सब्सिडी दी जा रही है। बीज पर भी सब्सिडी बढ़ा दी गई है, चारे के लिए केन्द्रीय योजना के तहत उपलब्ध राशि भी बढ़ाई गई है।
(इनपुट भाषा से भी)