डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट ने विदेशी कंपनियों के लिए भारत में अधिग्रहण के अवसर बढ़ा दिए हैं और आने वाले दिनों में विदेशी कंपनियां भारत में अधिग्रहण के सौदों को मूर्त रूप दे सकती हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि डालर के मुकाबले रुपया पिछले एक महीने में करीब छह प्रतिशत टूट चुका है और यह भारत में अधिग्रहण की संभावना तलाश रही विदेशी कंपनियों के लिए आकर्षक साबित हो सकता है।
मर्जरमार्केट इंडिया के ब्यूरो प्रमुख मिथुन वर्के ने कहा, ‘‘बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारतीय अनुषंगियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का यह एक अच्छा समय साबित हो सकता है। यूनिलीवर द्वारा अपनी अनुषंगी में शेयरों की पुनर्खरीद इसका ताजा उदाहरण है।’’
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए ग्रांट थार्नटन इंडिया की इंडिया लीडरशिप टीम के साझीदार हरीश एचवी ने कहा, ‘‘देश में अधिग्रहण के लिए मूल्यांकन बेशक आकर्षक है और यदि कंपनियों ने भारत में अधिग्रहण का मन बनाया है तो यह उनके लिए अच्छा समय है।’’
सीमापार सौदे विशेषकर विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में अधिग्रहण के सौदे अभी तक सुस्त रहे जिसकी वजह भारत में आर्थिक नरमी है। मई के दौरान 10.2 करोड़ डॉलर के 8 इनबाउंड सौदे हुए जो बीते साल की समान अवधि के मुकाबले 49.50 प्रतिशत कम है।